144 वर्ष बाद आया है पितृदोष से मुक्ति का अद्भुत मुहूर्त


पूरे भारत और अमेरिका, म्यांमार, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, कतर और संयुक्त अरब अमीरात सहित दुनिया के किसी भी देश में रहने वाले सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए पितृ दोष से मुक्ति का एक अद्भुत मुहूर्त आया है। ऐसा अवसर 144 वर्ष बाद आता है। कोई विशेष यज्ञ-हवन और अनुष्ठान करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि सिर्फ एक स्नान करने से, आप पितृदोष से मुक्त हो जाएंगे। 

प्रयागराज महाकुंभ में स्नान से पितृ दोष से मुक्ति का मुहूर्त

भारत के प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। भारतीय ज्योतिष की दृष्टि से ग्रहों का इस प्रकार का संगम 144 वर्ष में एक बार होता है। इसीलिए इसे कुंभ नहीं बल्कि महाकुंभ कहा जाता है। दिनांक 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या है। इसी दिन महाकुंभ में तीसरा “अमृत स्नान” होगा। यह तिथि उन लोगों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है जो पितृ दोष से पीड़ित हैं। भारतीय ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन संगम स्नान करने से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। अर्थात यदि दिनांक 29 जनवरी 2025 को प्रयागराज में गंगा नदी में स्नान कर लिया तो इससे अधिक विशेष जीवन में कुछ भी नहीं होगा क्योंकि प्रयागराज महाकुंभ है जो 144 वर्ष बाद आया है। मौनी अमावस्या के कारण ही 29 जनवरी को तीसरा अमृत स्नान निर्धारित किया गया है। 

पितृ दोष से मुक्ति के लिए वैकल्पिक उपाय

यदि किसी कारण से आप प्रयागराज महाकुंभ स्नान करने नहीं जा पाते हैं तो मौनी अमावस्या के दिन संगम स्नान कीजिए। जिस स्थान पर दो पवित्र नदियों का मिलन होता है, भारतीय ज्योतिष में उसे संगम कहा जाता है। संगम स्नान के साथ अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण करना चाहिए। संगम पर उपस्थित निर्धन व्यक्तियों को दान देना, उपयुक्त और कल्याणकारी है। 

पितृ दोष से मुक्ति के लिए दूसरा वैकल्पिक उपाय 

यदि आप दुनिया की किसी ऐसे देश में है अथवा किसी ऐसे स्थान पर हैं जहां ” संगम” उपलब्ध ही नहीं है। अथवा आप किसी ऐसी स्थिति में है, संगम स्नान के लिए जाना किसी भी स्थिति में संभव नहीं है। तब आप अमावस्या तिथि के प्रारंभ से अंत तक अर्थात दिनांक 28 जनवरी को शाम 7:30 बजे से लेकर 29 जनवरी को शाम 6:30 बजे तक मौन व्रत धारण करें। भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। मौन व्रत के दौरान उनका ध्यान करें और अपने कार्य के निर्धारित समय के अतिरिक्त भगवान श्री हरि विष्णु के भजन एवं पाठ आदि करें। किसी भी प्रकार के मनोरंजन, आहार एवं पेय पदार्थ ग्रहण न करें। शास्त्रों के अनुसार एक दिवस शाकाहार एवं सन्यास का पालन करें। 

पितृ दोष क्या होता है 

पितृदोष एक ज्योतिषीय संकल्पना है जो हमारे पूर्वजों यानी पितरों से जुड़ी होती है। यह माना जाता है कि जब पितरों का विधिवत श्राद्ध, तर्पण या अन्य अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं, या फिर पूर्वजों के साथ कोई अन्याय या अपराध हुआ होता है, तो यह दोष व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है।

पितृदोष के कारण:

पितरों का श्राद्ध करना हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि यह नियमित रूप से नहीं किया जाता है, तो पितृदोष लग सकता है। यदि किसी पूर्वज की युद्ध भूमि में, आपातकाल की स्थिति में, प्राकृतिक आपदा में, किसी वन्य प्राणी के द्वारा किए गए हमले में, गर्भ के भीतर, 5 वर्ष से कम आयु में, अथवा इस प्रकार असामान्य मृत्यु हो गई है, तब पितृ दोष उपस्थित होता है। पितृ दोष एक संकेत होता है कि, किसी पूर्वज का विधि के अनुसार अंतिम संस्कार नहीं हुआ है अथवा श्राद्ध कर शेष रह गया है। एक सामान्य सी विधि से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

पितृदोष से मुक्ति के उपाय नहीं करने पर क्या होगा

  1. विवाह में बार-बार विघ्न आ सकते हैं।
  2. संतान प्राप्ति में समस्या हो सकती है।
  3. धन हानि हो सकती है और आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है।
  4. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।
  5. कार्यस्थल में बार-बार परेशानियां आ सकती हैं।

डिस्क्लेमर :- पितृ दोष भारतीय ज्योतिष की एक संकल्पना मात्र है। यह केवल उनके लिए मूल्यवान है जो अंतिम संस्कार, मोक्ष, श्रद्धा और तर्पण में विश्वास करते हैं। आधुनिक विज्ञान द्वारा इस विषय में कोई प्रयोग नहीं किया गया है।

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