सफलता की कहानी: पिता का कर्ज चुकाने कभी नर्मदा में पकड़ती थी मछली, अब इंडियन नेवी में ऑफिसर बन कर रही देश की सेवा, सीहोर की बेटी कावेरी ने एशियन और नेशनल चैंपियनशिप में जीते हैं 50 से अधिक मेडल   


मुकेश मेहता, बुधनी। जीवन में कुछ करने का जज्बा हो और मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो विपरीत परिस्थितियां भी आगे बढ़ने और मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक पाती। मध्य प्रदेश के बुधनी विधानसभा की भैरूंदा तहसील के एक छोटे से गांव मंडी की बेटी कावेरी ढ़ीमर एक ऐसी सफल बेटी है जिसने कठिन परिस्थितियों में हार नहीं मानी और खेल के क्षेत्र में न केवल अपना बल्कि प्रदेश और देश का नाम पूरी विश्व में रोशन किया है। कावेरी ने अपनी मेहनत और कठिन संघर्ष से अपना नाम खेल के क्षेत्र में सुनहरे अक्षरों में अंकित करा दिया है। इतने कठिन संघर्ष और सफलता की कहानी शायद ही कभी किसी ने सुनी होगी। 

इंडियन नेवी में ऑफिसर बन कर रही देश की सेवा 

कावेरी ने कैनोइंग गेम्स में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 50 से ज्यादा मेडल जीते और देश का नाम रोशन किया। कावेरी ने एशियन चैंपियनशिप में 01 ब्रांज मेडल जीता है, इसके साथ ही नेशनल चैंपियनशिप में 45 गोल्ड, 06 सिल्वर और 03 ब्रांज मेडल अपने नाम किए हैं। मध्यप्रदेश की बेटी कावेरी जो कभी अपने पिता का कर्ज चुकाने के लिए नर्मदा में मछली पकड़ा करती थी, इसी कठिन संघर्ष के साथ उस बेटी ने इंडियन नेवी तक का सफर तय कर लिया है। वर्तमान में बेटी कावेरी इंडियन नेवी में एजीपीओ (पीटी) ऑफिसर के पद पर कार्य कर देश की सेवा कर रही हैं।

 नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 50 से ज्यादा मेडल जीते

कावेरी के परिवार में 11 सदस्य है, जिसमें माता-पिता सहित 07 बहनें एवं 02 भाई शामिल हैं। कावेरी के पिता नर्मदा में मछली पकड़कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। कमजोर आर्थिक स्थिती और आमदनी कम होने के कारण जब परिवार का गुजारा चलाना कठिन हुआ तो पिता ने कर्ज ले लिया। इस कर्ज को चुकाने में बेटी कावेरी अपने पिता का सहारा बनी। पानी में नाव चलाते हुए बेटी कावेरी को जब एक स्पोर्ट्स ऑफिसर ने देख तो उन्होंने कावेरी को कैनोइंग गेम्स में ट्रेनिंग के लिए प्रेरित किया। स्पोर्ट्स ऑफिसर ने कावेरी को कैनोइंग गेम्स में ट्रेनिंग के लिए वाटर स्पोर्ट अकादमी भोपाल पहुंचा दिया। इसके पश्चात बेटी कावेरी ने अपने इस हुनर को अपना जुनून बना लिया। बेटी कावेरी ने एक के बाद एक कैनोइंग गेम में नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 50 से ज्यादा मेडल जीते और देश का नाम रोशन किया। कावेरी ने एशियन चैंपियनशिप में 01 ब्रांज मेडल जीता और नेशनल चैंपियनशिप में 45 गोल्ड, 06 सिल्वर और 03 ब्रांज मेडल अपने नाम किए। इस उपलब्धि के लिए उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बेटी कावेरी को 11 लाख रूपये का इनाम भी दिया था।

कभी पिता के कर्ज के 40 हजार रूपये चुकाने के लिए नाव चलाकर पकड़ती थी मछलियां

बेटी कावेरी का पिछले साल स्पोर्ट्स कोटे में इंडियन नेवी में सिलेक्शन हो गया। नेवी में सिलक्ट होने के बाद जब बेटी कावेरी अपने गांव पहुंची तो परिवार एवं ग्रामवासियों ने अपनी इस बेटी का धूमधाम से स्वागत किया। नांव से इंडियन नेवी तक के इस सफर में बेटी कावेरी को कई संघर्षों का सामना करना पड़ा। इतने संघर्षों एवं विपरीत परिस्थियों के बाद भी बेटी कावेरी की हिम्मत नही टूटी बल्कि वह अपने बुलंद हौंसलों के साथ आगे बढ़ती रही। इसी बुलंद हौंसले और मेहनत का नतीजा यह रहा कि जो बेटी कावेरी कभी पिता के कर्ज के 40 हजार रूपये चुकाने के लिए नाव चलाकर मछलियां पकड़ती थी, वो अब भारतीय जल सेना में आफिसर बनकर देश की सेवा कर रही है। अपनी बेटी की इस सफलता को लेकर कावेरी के माता-पिता बहुत खुश है। कावेरी के पिता कहते हैं कि बेटी कावेरी ने जिस संघर्ष के साथ यह सफलता पाई है, यह हमने सपने मे भी नही सोचा था, वास्तव में बेटी हो तो कावेरी जैसी।  

वास्तव में संघर्षों का सामना कर बेटी कावेरी ने जो सफलता पाई है, वह हर बेटी और हर परिवार के लिए एक मिसाल है। बेटी कावेरी के जीवन की कहानी सिर्फ एक सफलता की कहानी नहीं, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण का जीता-जागता उदाहरण है। आर्थिक तंगी, सामाजिक चुनौतियां और सीमित संसाधनों के बावजूद कावेरी ने हार नहीं मानी। कावेरी की सफलता यह दर्शाती है कि जहाँ हिम्मत होती है वहाँ रास्ते खुद बन जाते हैं, बेटियाँ कमजोर नहीं होतीं बस उन्हें मौका चाहिए। बेटी कावेरी की सफलता इस बात का जीता जागता उदाहरण है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *