सीजफायर पर दिग्विजय ने उठाए सवालः बोले- सोफिया को प्रवक्ता बनाए जाने पर होड़ मची कि मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम रंग दिया जाए, पहलगाम आतंकियों की पहचान अब तक क्यों नहीं?


हेमंत शर्मा, इंदौर। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इंदौर में केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आतंकवाद, सीजफायर और भाजपा की विचारधारा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए। दिग्विजय सिंह ने कहा कि भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है, जबकि पाकिस्तान में आतंकियों को खुलेआम संरक्षण मिलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खुद स्वीकारते हैं कि विदेशी ताकतों के दबाव में उन्हें आतंकियों को संरक्षण देना पड़ता है। इटावाबाद में ओसामा बिन लादेन का ठिकाना इस बात का सबूत है।

दिग्विजय सिंह ने भारतीय सेना की तारीफ करते हुए कहा कि सेना और खुफिया तंत्र ने सही टारगेट पर हमला किया और पहलगाम का बदला लिया, लेकिन सवाल यह है कि पहलगाम में हमला करने वाले चार आतंकियों की पहचान अब तक क्यों नहीं हो पाई है? उन्होंने कहा कि इसे जानना जरूरी है। कांग्रेस नेता ने भाजपा की विचारधारा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम विभाजन की संघी विचारधारा समाज में घर कर चुकी है। कर्नल सोफिया कुरैशी को प्रवक्ता बनाए जाने पर विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि भाजपा नेता विजय शाह के बयान से साफ है कि भाजपा की सोच क्या है। संघी ट्रोल आर्मी ने इस मुद्दे को ट्रोल किया और भाजपा ने विजय शाह पर कोई कार्रवाई नहीं की।

इन ट्रोल्स को प्रधानमंत्री खुद फॉलो करते

यह भाजपा की मानसिकता को दर्शाता है। दिग्विजय ने कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी को प्रवक्ता बनाए जाने पर भाजपा के नेताओं में होड़ मच गई कि हर मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम रंग दिया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की ट्रोल आर्मी ने सिर्फ सोफिया कुरैशी ही नहीं, बल्कि भारत सरकार के प्रवक्ता विक्रमजीत और उनके परिवार को भी नहीं छोड़ा। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ जहर उगला गया, और दुख की बात यह है कि इन ट्रोल्स को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद फॉलो करते हैं। यह भाजपा की संघी विचारधारा को उजागर करता है, जो विजय शाह के बयान में भी साफ नजर आती है।

अचानक सीजफायर का निर्णय कैसे?

सीजफायर के मुद्दे पर भी दिग्विजय सिंह ने मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने सवाल उठाया कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ अचानक सीजफायर का निर्णय कैसे कर लिया? उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के बाद पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को सीजफायर की पेशकश की, और सवाल उठाया कि इसके बाद भी सीजफायर का उल्लंघन क्यों हुआ?

मोदी विपक्ष के साथ बैठकर चर्चा करने से डरते

उन्होंने कहा कि संकट के समय देश एकजुट होकर सेना के साथ है, लेकिन मोदी सरकार विपक्ष को विश्वास में लेने से डरती है। जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर जब चीन से युद्ध हुआ था तब सदन बुलाया गया था और विपक्ष के साथ बैठकर चर्चा हुई थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष के साथ बैठकर चर्चा करना थी लेकिन प्रधानमंत्री विपक्ष के साथ बैठकर चर्चा करने से डरते हैं।

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