अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कदम, महिला बाल विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को दिए ये निर्देश 


भोपाल। महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा 16 Days of Activism के तहत एक अहम कदम उठाते हुए “बाल विवाह मुक्त भारत अभियान” की शुरूआत की गई है। यह पहल देश में बाल विवाह की सामाजिक कुरीति को समाप्त करने तथा किशोरियों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिये की गई है। एनएफएचएस-5 के आकड़ों के अनुसार प्रदेश में बाल विवाह की घटनाओं में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। अपर मुख्य सचिव महिला बाल विकास रश्मि अरूण शमी ने सभी जिला कलेक्टर को पत्र लिख कर 30 अप्रैल अक्षय तृतीया पर होने वाले सामूहिक विवाह, जिसमें बाल विवाह होने की संभावना होती है, उसके रोकथाम के लिये विशेष गतिविधियों करने के निर्देश दिए है। 

अभियान का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बाल विवाह रोकथाम के लिये विशेष रणनीति तय की गई है। शमी ने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य देश भर में बाल विवाह की कुप्रथा को समाप्त करना युवा लड़कियों को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल की जानकारी देते हुए कहा कि यह पोर्टल एक ऐसा अभिनव ऑनलाइन प्लेटफार्म है जो नागरिकों को बाल विवाह की घटनाओं की रिपोर्ट करन, शिकायत दर्ज करने और देश भर में बाल विवाह निषेध अधिकारियों (सीएमपीओ) के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति किया जाएगा जागरूक 

अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह रोकथाम के लिये “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के तहत व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है। इसमें सभी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया जाएगा। हेल्पलाइन नंबर 181, 1098, 100 और बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल (https://stopchildmarriage.wcd.gov.in) का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। 28 अप्रैल को सभी ग्राम पंचायतों के पंच, सरपंच एवं सचिव बाल विवाह न होने देने की शपथ लेंगे, जिसे पंचायत भवनों में प्रदर्शित किया जाएगा। 29 अप्रैल को आंगनबाड़ी और स्कूलों के बच्चों द्वारा रैली निकाल कर आम जनता को बाल विवाह के खिलाफ जागरूक किया जाएगा। स्व-सहायता समूह की महिलाएं गांवों में सामूहिक चर्चाओं के माध्यम से बाल विवाह रोकने के प्रयास करेंगी। 18 वर्ष से कम उम्र की अविवाहित किशोरियों की सूची बनाकर उसे जिला प्रशासन, पंचायतों और पुलिस को सौंपा जाएगा ताकि संभावित बाल विवाह पर नजर रखी जा सके। सामूहिक विवाह आयोजनों पर विशेष निगरानीके तहतपंचायत स्तर पर उन्मुखीकरण कार्यशालाएं आयोजित कर पंच/सरपंचों को सजग किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त विवाह आयोजनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले प्रभावशाली व्यक्तियों/समूहों का सहयोग लेकर सामाजिक चेतना का निर्माण किया जाएगा। स्थानीय मीडिया, सोशल मीडिया, दीवार लेखन, और व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से बाल विवाह के खिलाफ व्यापक जन-जागरूकता फैलाई जाएगी। प्रत्येक ग्राम/वार्ड में एक सूचना दल गठित किया जाएगा जिसमें शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा, शौर्यादल, पंचायत सदस्य, और अन्य जागरूक नागरिक शामिल होंगे। यह दल विवाहों की जानकारी एकत्र कर संभावित बाल विवाह की सूचना देंगे। जिला और विकासखंड स्तर पर 24×7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे जो प्राप्त सूचनाओं को त्वरित रूप से अधिकारियों तक पहुंचाएंगे। जिला और परियोजना स्तर पर उड़न दस्ते गठित किए जाएंगे जो विवाह स्थलों का भ्रमण कर निगरानी करेंगे और आवश्यकतानुसार बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत कार्रवाई करेंगे।

प्रदेश सरकार ने अक्षय तृतीया जैसे अवसरों पर संभावित बाल विवाह की घटनाओं को रोकने के लिए एक सशक्त, समन्वित और बहुस्तरीय योजना बनाई है। इसमें न केवल सरकारी तंत्र बल्कि समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, ताकि ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ का सपना साकार किया जा सके।

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