होली के अगले दिन यहां होती है रावण पुत्र मेघनाद की पूजा, जानें क्या है मान्यता
मुकेश मेहता, बुधनी (सीहोर)। मध्य प्रदेश जितना पर्यटन के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है उतना ही हजारों वर्षों पुरानी सभ्यताओं को लेकर भी मशहूर है। मध्य प्रदेश सालों पुराने इतिहास को अपने अंदर समेटे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। यही एक जुड़ाव है रावण पुत्र मेघनाद का मध्य प्रदेश से जिसकी होली के अगले दिन पूजा की जाती है।
मध्य प्रदेश के बुधनी में होली के अगले दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ जतरा (मेला) पर्व मनाया जाता है। जिसमें ग्रामीण रावण पुत्र मेघनाद की पूजा करते हैं। बुधनी के भेरूंदा ब्लाक का लाडकुई गांव आदिवासी अंचलों से घिरा हुआ है। क्षेत्र मे आदिवासी रीति-रिवाजों से कई त्यौहार मनाया जाते हैं। इसी कड़ी में आज बुधवार को गांव में आदिवासी गोंड समाज ने रावण के पुत्र मेघनाद की पूजा अर्चना की।
इस मौके पर ग्राम में बाहर से दुकाने व कई सांस्कृतिक गतिविधियां होती है। आदिवासियों का यह त्यौहार उत्साह उमंग धूम-धाम से मनाया जाता है। होली के दूसरे दिन जतरा मैं ग्रामीणों एवं बाहर से आते हैं। बताया जाता है कि यह त्यौहार मेघनाथ बाबा से किसी भी तरह की परेशानी, तकलीफ या घर में किसी बीमारी को लेकर मनाया जाता है।
मेघनाद बाबा का पूजन-अर्चना कर उन्हें भेट चढ़ाई जाती है और अपनी और अपने परिवार की कुशलता की कामना की जाती। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से भारी पुलिस बल के साथ ग्रामीण यह त्यौहार मनाते हैं। सुबह से ही पुलिस बल यहां पर मुस्तैदी से असामाजिक तत्वो की गतिविधियों पर नज़र रखती हैं जिससे कोई घटना न हो।
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