BNSS- 188, इनवेस्टिगेशन ऑफीसर SI या ASI क्या कर सकता है, क्या नहीं, पढ़िए…
क्रिमिनल केस के मामले की जांच के लिए संबंधित थाने से अक्सर कोई सब इंस्पेक्टर अथवा असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर लोगों से संपर्क करता है और इन्वेस्टिगेशन करता है। वह संबंधित लोगों के बयान दर्ज करता है एवं साक्ष्य एकत्रित करता है। ज्यादातर लोगों का मानना होता है कि इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर FIR में किसी का भी नाम जोड़ सकता है अथवा काट सकता है। किसी को भी गिरफ्तार कर सकता है एवं कोर्ट में चालान पेश कर सकता है। आइए जानते हैं पुलिस डिपार्टमेंट के इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर (SI या ASI) क्या कर सकता है और क्या नहीं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 188 की परिभाषा
पुलिस व्यवस्था के तहत नियुक्त किया गया थाना प्रभारी (पुलिस इंस्पेक्टर) किसी भी प्रकरण की जांच के लिए उस मामले की गंभीरता के अनुसार असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर अथवा सब इंस्पेक्टर को प्रतिनियुक्त करता है। ऐसी स्थिति में SI-ASI का कर्तव्य होता है कि वह निर्देशानुसार मामले की जांच करे। संबंधित लोगों के बयान दर्ज करे। साक्ष्य एकत्रित करे एवं अपने नियुक्त करने वाले थाना प्रभारी इंस्पेक्टर को पूरी रिपोर्ट सौंप दे।
यानी इन्वेस्टिगेशन के लिए आने वाला कोई भी SI-ASI न तो FIR में किसी का नाम बढ़ा सकता है और न ही काट सकता है। न तो वह किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है और न ही कोर्ट में चालान पेश कर सकता है। वह केवल इन्वेस्टिगेशन कर सकता है। इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के आधार पर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर डिसीजन करता है कि उसे क्या कार्रवाई करनी है। सभी प्रकार की कार्यवाही के लिए कानूनी रूप से थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जिम्मेदार होता है। लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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