SC JUDGEMENT – ऐच्छिक ट्रांसफर वाले कर्मचारियों को सीनियरिटी कंप्रोमाइज करनी होगी


भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के संबंध में बड़ा फैसला दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी अपनी सुविधा के लिए, अपनी इच्छा से ट्रांसफर लेता है तो ऐसे ट्रांसफर को जनहित वाला स्थानांतरण नहीं माना जाएगा। नवीन पदस्थापना में वह सबसे जूनियर कर्मचारी होगा। वह अपनी सीनियरिटी का दावा नहीं कर सकता है। 

प्रकरण का संक्षिप्त विवरण

कर्नाटक राज्य में एक स्टाफ नर्स को 1985 में मेडिकल कारणों से फर्स्ट डिवीजन असिस्टेंट (FDA) के पद पर ट्रांसफर चाहिए था। मेडिकल बोर्ड ने भी उनकी बीमारी की पुष्टि की थी। उन्होंने लिखकर दिया था कि उन्हें नई जगह पर सबसे नीचे रखा जाए। कर्नाटक सरकार ने 1989 में उनके ट्रांसफर को मंजूरी दी और उनकी सीनियरिटी 1989 से तय की। नर्स ने 2007 में इसे चुनौती दी और कहा कि उनकी सीनियरिटी 1979 से होनी चाहिए, जब वह पहली बार नियुक्त हुई थीं।

ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट ने कर्मचारी के पक्ष में फैसला दिया

कर्नाटक प्रशासनिक ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट ने नर्स के पक्ष में फैसला दिया। उन्होंने ‘स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम के. सीतारामुलु (2010)’ मामले का हवाला दिया, जिसमें मेडिकल कारणों से हुए ट्रांसफर को जनहित में माना गया था और पुरानी सीनियरिटी बरकरार रखने की अनुमति दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले को पलटा

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कर्नाटक राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि नर्स ने अपनी मर्जी से ट्रांसफर मांगा था और नई जगह पर सबसे नीचे रहने के लिए राजी भी हो गई थीं। इसलिए वह अपनी पुरानी नियुक्ति की तारीख से सीनियरिटी का दावा नहीं कर सकतीं। ऐसा करना नई जगह पर पहले से मौजूद कर्मचारियों के साथ अन्याय होगा।

कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट और ट्रिब्यूनल ने गलती की है। उन्होंने अपनी मर्जी से हुए ट्रांसफर को जनहित में हुआ ट्रांसफर मान लिया। कोर्ट ने कहा, “हमारी राय है कि ट्रिब्यूनल और हाई कोर्ट दोनों ने गलती की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी का ट्रांसफर जनहित में होता है, तो उसे ट्रांसफर वाली जगह पर भी अपनी सीनियरिटी मिलती रहेगी लेकिन अगर कोई कर्मचारी खुद ट्रांसफर मांगता है, तो उसे नई जगह पर सबसे जूनियर माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि नई जगह पर पहले से मौजूद कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखना जरूरी है। 

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