नौकरी का संकट: हाईकोर्ट से विज्ञप्ति खारिज करने  के आदेश के बाद नर्सिंग ऑफिसर्स ने सरकार को लिखा पत्र, न्याय की लगाई गुहार


हेमंत शर्मा, इंदौर। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कार्यरत नर्सिंग ऑफिसर्स ने हाईकोर्ट से विज्ञप्ति खारिज करने के आदेश के बाद सरकार को पत्र लिखकर न्याय की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी भर्ती प्रक्रिया अवैध थी, तो शासन द्वारा कराई गई अन्य सभी नर्सिंग नियुक्तियों, जो कि वास्तव में “सिर्फ महिला अभ्यार्थियों” की है, भी रद्द की जाए l अन्यथा उनकी नियुक्तियों को यथावत रखा जाए। नर्सिंग ऑफिसर्स ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि आदेश क्रमांक 3119/स्था/स्वशासी/सुपर/2022 दिनांक 22/02/2022 के तहत उनकी नियुक्ति हुई थी और वे तीन वर्षों से लगातार सेवाएं दे रहे हैं। अस्पताल में कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, गेस्ट्रोएंटरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर और डायलिसिस यूनिट जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं को चलाने में नर्सिंग स्टाफ की अहम भूमिका रही है। नर्सिंग ऑफिसर्स का कहना है कि हाईकोर्ट (W.P. 13136/2021) के 11 फरवरी 2025 के फैसले के तहत उनकी भर्ती रद्द कर दी गई, जिससे नर्सिंग ऑफिसर्स मानसिक और आर्थिक संकट में आ गए हैं।

100% महिला भर्ती नहीं थी, फिर भी क्यों हटाया जा रहा है?

नर्सिंग स्टाफ ने पत्र में स्पष्ट किया कि यह भर्ती 100% महिलाओं के लिए नहीं थी, क्योंकि इसमें पुरुष नर्सिंग स्टाफ भी शामिल थे। एमजीएम की स्क्रूटनी कमेटी द्वारा पुरुष अभ्यर्थियों का चयन भी मेरिट के आधार पर किया गया था। इसके बावजूद भर्ती को महिला आरक्षण के नियमों के आधार पर खारिज करना अन्यायपूर्ण है।

दूसरी सरकारी नौकरी छोड़कर आए, अब भविष्य अंधकारमय

नर्सिंग ऑफिसर्स ने लिखा कि उनमें से कई पहले से अन्य सरकारी संस्थानों में कार्यरत थे, लेकिन इस भर्ती को नियमित मानकर उन्होंने वह नौकरियां छोड़ दीं। अब भर्ती रद्द होने से वे न सिर्फ बेरोजगार हो गए हैं, बल्कि कईयों की उम्र सरकारी भर्ती की अन्य परीक्षाओं के लिए अधिक हो चुकी है। नर्सिंग ऑफिसर्स का कहना है “हममें से कई शादीशुदा महिलाएं हैं, कुछ गर्भवती हैं, और कई पर बैंक लोन का भार है। ऐसे में नौकरी जाने से हम गंभीर आर्थिक संकट में आ जाएंगे।”

सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सेवाएं भी प्रभावित होंगी

पत्र में उल्लेख किया गया कि पिछले तीन वर्षों में नर्सिंग स्टाफ ने 50,000-60,000 भर्ती मरीजों और 2-3 लाख बाह्य रोगियों का इलाज किया। प्रतिवर्ष 30,000 से अधिक भर्ती मरीजों, 15-20 लाख बाह्य रोगियों और 3,000-4,000 सर्जरी का संचालन किया जा रहा था। अगर एक साथ 1५0 अनुभवी नर्सिंग स्टाफ को हटा दिया जाता है, तो इससे न सिर्फ मरीज प्रभावित होंगे, बल्कि सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की व्यवस्थाएं भी चरमरा सकती हैं।

सरकार से मांग – या तो सभी नियुक्तियां रद्द करें, या फिर हमें बनाए रखें

नर्सिंग ऑफिसर्स ने सरकार से मांग की है कि अगर यह भर्ती प्रक्रिया गलत है, तो शासन द्वारा कराई गई अन्य सभी नर्सिंग नियुक्तियों, जो कि वास्तव में “सिर्फ महिला अभ्यार्थियों” की है, भी रद्द की जाए। लेकिन अगर अन्य अस्पतालों में नियुक्तियां जारी हैं, तो इंदौर में भी उन्हें यथावत रखा जाए। हमारी गलती नहीं है, फिर भी हमें ही सजा मिल रही है। शासन को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए हमें अनुग्रहित करना चाहिए।”  

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