MP में बनेंगे दो नए वन्य जीव अभयारण्य: CM डॉ मोहन ने दी मंजूरी, उज्जैन और जबलपुर में बनेंगे रेस्क्यू सेंटर कम जू


राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। सीएम डॉ मोहन यादव ने गुरुवार को समत्व भवन में मध्यप्रदेश राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की 28वीं बैठक में 2 वन्य जीव अभयारण्य की स्थापना को मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के प्रभावी प्रयासों का ही सुखद परिणाम है कि प्रदेश में बाघ, तेंदुआ, चीता, हाथी, घड़ियाल के साथ-साथ विलुप्त होती प्रजाति के गिद्धों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। बीते माह 17 से 19 फरवरी 2025 को हुई ताजा गिद्ध जनगणना के मुताबिक, प्रदेश में 12 हजार 981 गिद्ध पाए गए हैं। गिद्धों की संख्या बीते वर्ष में ही 19 प्रतिशत बढ़ी है। उन्होंने बताया कि ओंकारेश्वर वन्य जीव अभयारण्य देवास-खंडवा जिले के करीब 614.0709 वर्ग किमी वन रकबे और जहानगढ़ वन्य जीव अभयारण्य श्योपुर जिले के 6.328 वर्ग किमी वन रकबे को विकसित किया जाएगा।

रेस्क्यू सेंटर कम जू की स्थापना में लाएं तेजी

बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन को अवगत कराया गया कि उज्जैन जिले के नौलखी में वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर कम जू प्रस्तावित है। सीएम ने इस सेंटर की स्थापना की प्रगति की जानकारी ली और इस कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू सेंटर कम जू को वन्य जीव पर्यटन के लिहाज से तैयार किया जाए। बैठक में बताया गया कि उज्जैन की तरह एक वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर कम जू का निर्माण जबलपुर जिले में भी प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश वन्य जीवों की विविधता से भरा राज्य है। यहां के मंदसौर, नीमच, शिवपुरी समेत चंबल के जिलों में बड़ी संख्या में मगरमच्छ पाए जाते हैं।

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सीएम ने वन विभाग के अधिकारियों को वन्य जीवों के संरक्षण के निर्देशित करते हुए कहा कि मगरमच्छ सड़कों एवं आबादी क्षेत्र में न पहुंचे, इसके लिए उन्हें खाली पड़ी नदियों में पुनर्स्थापित किया जाए। मु्ख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन्य जीवों के संरक्षण एवं पुनर्वास के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित कर कार्यशालाएं एवं संयुक्त बैठक आयोजित की जाएं। देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वन्य जीवों के संरक्षण को पर्यटन से जोड़ते हुए परियोजना तैयार करने की आवश्यकता है।

थलचर, जलचर और नभचर तीनों श्रेणियों के जीव-जंतुओं और पशु-पक्षियों के कल्याण की करें चिंता

मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य जीव पर्यटन बोर्ड थलचर (वनचर), जलचर और नभचर तीनों श्रेणियों के जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों एवं वन्य प्राणियों के कल्याण की चिंता करे। यह सभी प्राणी हमारी वृहद जैव विविधता की धरोहर है। हमें इन्हें बचाना है, इनके विकास के लिए अनुकूलित वातावरण उपलब्ध कराना है।

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असम से गैंडें और अफ्रीका से जिराफ को लाकर MP में बसाने की संभावनाएं तलाशें

सीएम ने टाइगर, चीतों और घड़ियालों का घर बन चुके मध्यप्रदेश में असम के काजीरंगा नेशनल पार्क से गैंडों को लाने और साऊथ अफ्रीका से जिराफ को लाकर यहां बसाने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में मौजूद पर्यटन स्थलों एवं वन्य जीव अभयारण्यों के आकर्षक वीडियो तैयार कर प्रसारित करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन ने कहा कि जनजातीय बंधु वनों के प्राकृतिक संरक्षक है। इसीलिए वन विभाग यह सुनिश्चित करे कि प्रदेश के किसी भी जनजातीय क्षेत्र में जनजातीय वर्ग के श्रद्धालुओं को उनके प्राकृतिक देव स्थानों तक पहुंचने और देव आराधना/अनुष्ठान करने में किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई न आने पाए।

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बैठक में सीएम ने वन्य प्राणी बोर्ड द्वारा प्रस्तावित किए गए 33 विकास प्रस्तावों में से 30 विकास प्रस्तावों का अनुमोदन किया। गौरतलब है कि वन्य जीव पर्यटन को नई ऊंचाई देने के लिए संकल्पित मुख्यमंत्री डॉ. मोहन ने इसी वर्ष 17 फरवरी को राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में 10 घड़ियाल को चंबल नदी में छोड़ा था। इससे पहले 5 फरवरी 2025 को सीएम ने 5 वयस्क चीते कूनो नेशनल पार्क में छोड़े। हाल ही में मुख्यमंत्री ने शिवपुरी जिले में प्रदेश के 9वें माधव नेशनल टाइगर रिजर्व का लोकार्पण कर एक बाघिन को उसके प्राकृतिक आवास में मुक्त किया था।

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