जीवन संगिनी हो तो ऐसी: नेत्रहीन पति का सहारा बनी दिव्यांग पत्नी, शादी से पहले कहा था- उनकी दुनिया अंधेरे में है, लेकिन मैं उनकी रोशनी बनी रहूंगी


यत्नेष सेन, देपालपुर। आज एक तरफ देशभर में जहां आए दिन पति-पत्नी के तलाक और रिश्तों में दरार की खबरें सामने आ रही हैं। महिलाएं गुजारा भत्ता को लेकर कोर्ट केस कर रही हैं। तो पुरुष भी प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं। इस बीच मध्य प्रदेश में एक दंपत्ति ने मिसाल कायम की है। यहां एक दिव्यांग पत्नी अपने नेत्रहीन पति के लिए सहारा बनी है। आइए जानते हैं क्या है स्टोरी… 

 नेत्रहीन पति का सहारा बनी सविता

दरअसल, देपालपुर की दिव्यांग सविता जायसवाल के नेत्रहीन पति सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं। वह जन्म से नेत्रहीन हैं। वहीं महिला खुद बैसाखी के सहारे चलती हैं। लेकिन नेत्रहीन दिव्यांग पति राजेश जायसवाल की आंखे बनकर उनके साथ कदम से कदम मिलकर चलती हैं। 

बीमार पति का इलाज भी खुद करती हैं सविता 

सविता हर दिन अपनी बैसाखी के सहारे स्कूटी पर पति को स्कूल छोड़ने और लाने का काम करती हैं। उनकी यह अनूठी जुगलबंदी हर किसी के लिए मिसाल बनती नजर  रही है। वहीं पति को वेरिकोच अल्सर की बीमारी है और उनका पूरा ट्रीटमेंट पत्नी ही करती है। आज महिला दिवस पर पार्षद रवि चौरसिया ने महिला दिवस पर ईस परिवार का सम्मान किया।

नेत्रहीन दिव्यांग से शादी करना था पत्नी का सपना 

सविता जायसवाल ने बताया कि उनका सपना था कि वह किसी नेत्रहीन दिव्यांग से ही शादी करेगी। उन्होंने कहा, “शादी के बाद से ही मैंने ठान लिया था कि मैं अपने पति को हर संभव सहारा दूंगी। उनकी दुनिया अंधेरे में है, लेकिन मैं उनकी रोशनी बनी रहूंगी।” पति ने भी अपनी पत्नी पर नाज करते हुए कहा कि  वह न केवल मेरी जीवनसंगिनी है, बल्कि मेरी ताकत भी है। अगर वो न होती तो शायद मैं इतनी दूर तक नहीं आ पाता।”

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