CM डॉ. मोहन ने चंबल नदी में 10 घड़ियाल शावकों को किया रिलीज, बोले- घड़ियाल अभ्यारण्य बन सकता है सेंचुरी


योगेश पाराशर, मुरैना। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज सोमवार को देवरी ईको सेंटर से लाए गए घड़ियाल शावकों को मुरैना के ‘राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य’ में ‘Grow and Release’ कार्यक्रम के तहत उनके ‘नये प्राकृतिक घर’ चंबल नदी में छोड़ा। साथ ही अभयारण्य की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया और पर्यटन सुविधाओं का निरीक्षण कर नौकायन का आनंद भी लिया।

चंबल में घड़ियाल और मगरमच्छ की बढ़ती संख्या और डॉल्फिन की अठखेलियां

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि चंबल नदी में घड़ियाल और मगरमच्छ की बढ़ती संख्या एवं अनेकों डॉल्फिन की अठखेलियां प्रमाण है कि मध्यप्रदेश में ‘वन्यजीव संरक्षण अभियान’ सफल हो रहा है। देश में सर्वाधिक घड़ियालों का बसेरा ‘अपना मध्यप्रदेश’ वन्य एवं जलीय जीव पर्यटन को एक नया आयाम देने एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान सीएम ने घड़ियाल अभ्यारण्य को सेंचुरी बनाने और माधव राष्ट्रीय उद्यान को जल्द ही टाइगर रिजर्व की मान्यता देने का बड़ा ऐलान किया।

टेम्प्रेचर के आधार पर नर और मादा बन जाते हैं घडियाल

सीएम ने बताया कि चंबल अभ्यारण्य 435 किलोमीटर में फैला है और तीन राज्यों राजस्थान, उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश में बंटा है। 2024 की जनगणना में देश में सबसे घड़ियाल की संख्या मध्य प्रदेश में है जिसकी संख्या 2456 है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा अच्छा प्राणी है, जिसकी दिनचर्या भी रोचक है। ट्रेम्प्रेचर के आधार पर इसका लिंग निर्धारण होता है। टेम्प्रेचर ज्यादा हुआ तो नर और कम हुआ वह मादा बन जाता है।

अभ्यारण्य से रोजगार की योजना

सीएम ने आगे बताया कि चंबल में घड़ियाल, डॉल्फिन, मगरमच्छ, स्वदेशी व विदेशी पक्षी यहां रहते हैं। अभ्यारण्य से लोगों को रोजगार मिले इसकी योजना बन रही है। चंबल क्षेत्र के श्योपुर में चीता छोड़े गए। अब हमने 10 घड़ियाल के बच्चे चंबल में छोड़े हैं। यहां ईको पर्यटन बढ़े इसके लिए प्रयास किए जाएंगें।

माधव राष्ट्रीय उद्यान को जल्द मिलेगी टाइगर रिजर्व की मान्यता

सीएम ने कहा कि हम जानते हैं कि हजारों साल से प्राकृतिक रूप से घड़ियाल रहते हैं। डॉल्फिन की भी संभावना है। 2022 में जिन घड़ियाल के अंडों का संग्रहण किया था, 120 से.मी. तक बढ़ने के बाद इन्हें छोड़ा गया है। भविष्य में माधव राष्ट्रीय उद्यान को जल्द ही टाइगर रिजर्व की मान्यता देने वाले हैं। सरकार जंगल क्षेत्र में विशेष काम कर रही है।

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