BHOPAL NEWS – सांसद शर्मा ने 500 करोड़ की प्रोजेक्ट में अड़ंगा क्यों लगाया


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की 25 लाख से अधिक की सुविधा के लिए कलेक्टर और कमिश्नर ऑफिस को प्रोफेसर कॉलोनी में शिफ्ट किया जा रहा है। यह टोटल 500 करोड रुपए का प्रोजेक्ट है और लंबे समय से इस पर काम चल रहा था। सांसद आलोक शर्मा ने अचानक एक बयान देकर शिफ्टिंग का काम रुकवा दिया है। अब पब्लिक में सवाल पूछा जा रहा है कि जब सब कुछ पहले से पता था, तो लास्ट टाइम पर अचानक 500 करोड रुपए के प्रोजेक्ट में अड़ंगा क्यों लगाया। 

NGT ने भी कलेक्टोरेट कैंपस रीडेंसीफिकेशन प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी

वर्तमान में भोपाल की जिस लोकेशन पर कलेक्टर और कमिश्नर के ऑफिस है, वह जगह पब्लिक के लिए अब कम पड़ रही है। पार्किंग को लेकर भी परेशानी होती है और ट्रैफिक जाम की स्थिति भी बन जाती है। इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए कलेक्टर और कमिश्नर ऑफिस को शिफ्ट किए जाने का प्रोजेक्ट बनाया गया था। इसके तहत प्रोफेसर कॉलोनी में 6 मंजिला बिल्डिंग बनेगी। जहां पर कलेक्टर और कमिश्नर ऑफिस शिफ्ट होंगे। इस प्रोजेक्ट पर पहले भी आपत्ति उठाई गई थी परंतु करीब तीन महीने पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रोफेसर कॉलोनी और कलेक्टोरेट कैंपस रीडेंसीफिकेशन प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी थी। 

सांसद आलोक शर्मा का बयान पढ़िए

पुराने भोपाल से सारे सरकारी ऑफिस जा रहे हैं। नगर निगम और आरटीओ पहले ही जा चुके हैं। पुराने भोपाल की जनता मेरे पास आ रही है। उनका कहना है कि अब कलेक्टर ऑफिस नहीं जाना चाहिए। इस बारे में कलेक्टर से चर्चा की है। इस मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भी मिलूंगा।

संसद का बयान आया और पूरी प्रक्रिया रोक दी गई

सांसद की आपत्ति के बाद जिला प्रशासन ने भी इस प्रोजेक्ट की प्रक्रिया रोक दी है। अफसरों का कहना है कि मामले में सभी प्रक्रिया हो चुकी है। सोमवार को इस मुद्दे पर वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बातचीत भी हुई। हालांकि मीडिया में संसद द्वारा दिया गया बयान, कोई कानूनी महत्व नहीं रखता है परंतु कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह, सांसद श्री आलोक शर्मा के बयान को अतिरिक्त महत्व दे रहे हैं।

ढाई साल तक NGT में मामला लटका रहा था

करीब दो साल पहले हाउसिंग बोर्ड ने यह प्रोजेक्ट बनाया था, लेकिन भोपाल सिटीजंस फोरम ने इलाके में पेड़ काटने और छोटे तालाब से 50 मीटर के दायरे में निर्माण को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की थी। इसी मामले में हरी झंडी मिली। सुनवाई के दौरान हाउसिंग बोर्ड ने बताया था कि प्लानिंग इस तरह से की गई है कि ज्यादातर पेड़ बचाए गए हैं। यह तालाब से 60 से 150 मीटर दूर बनेगा। यह प्रोजेक्ट प्रोफेसर कॉलोनी में लगभग 13 एकड़ में प्रस्तावित है।

कलेक्टर भी तैयार हो गए थे

हाउसिंग बोर्ड के अफसरों ने संशोधित प्रोजेक्ट का पावर पाइंट प्रेजेंटेशन कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को भी दिखाया था। प्रोजेक्ट करीब 500 करोड़ रुपए का है। इसके जल्द टेंडर प्रोसेस करने की बात भी अफसरों ने कही। इसके बाद वहां के मकान और सरकारी दफ्तरों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू होगी। करीब ढाई महीने पहले कलेक्टर सिंह ने प्रोफेसर कॉलोनी में लगने वाले जल संसाधन, संपदा संचालनालय, एनसीसी, श्रम विभाग और अन्य दफ्तरों के अफसरों से पूछा था कि वे अपने दफ्तर कहां शिफ्ट करेंगे? जिस पर उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था करने की बात कही।

5 से 6 फ्लोर का भवन

प्रोजेक्ट के अनुसार भोपाल का नया कलेक्टोरेट भवन 5 से 6 फ्लोर का होगा। हर फ्लोर पर 6 से 7 हजार स्क्वेयर फीट एरिया रहेगा। कौन सा सरकारी ऑफिस कहां पर रहेगा, इस पर भी मंथन किया जा रहा है। बता दें कि यहां कमिश्नरी ऑफिस के अलावा हुजूर और बैरागढ़ एसडीएम, तहसील दफ्तर, पुराना सचिवालय के अन्य दफ्तर भी बनाए जाएंगे।

1972 से कलेक्टर ऑफिस शिफ्ट करने की कोशिश हो रही है

साल 1972 से अब तक कलेक्टोरेट के लिए 9 बार अलग-अलग जगहों पर विचार हुआ, लेकिन हर बार कोई न कोई अड़चन आ गई। अब एनजीटी के फैसले के बाद 2024 में इस नई साइट को मंजूरी मिली है। 

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