EXCLUSIVE: Saurabh Sharma कैश कांड में भूपेंद्र सिंह का नाम! पूर्व मंत्री के कार्यकाल में हुई थी ‘धनकुबेर’ की पोस्टिंग, इस दिग्गज नेता के कहने पर पैसों को सोने की सिल्लियों में किया तब्दील! पूर्व सरकार में नियमों को ताक पर रखकर दी गई थी फील्ड पर पोस्टिंग


भोपाल। 52 किलो गोल्ड और 10 करोड़ से अधिक कैश कांड को लेकर जांच एजेंसियों की कार्रवाई जारी है। ‘धनकुबेर’ बनकर उभरे पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा (Saurabh Sharma) की राजनेताओं और अधिकारियों से संलिप्तता से सियासी बवाल मचा हुआ है। इस बीच लल्लूराम डॉट कॉम को कुछ ऐसी जानकारियां मिली हैं, जिससे पूर्ववर्ती सरकार और पूर्व मंत्रियों की टेंशन बढ़ सकती है। 

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अवैध वसूली का आरोप लगाने वाले पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के कार्यकाल में हुई सौरभ शर्मा की नियुक्ति

मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह चेक पोस्ट पर अवैध वसूली को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर रहे हैं। सत्ताधीश और पूर्व मंत्री के बीच अदावत पूरे सूबे में चर्चा का विषय रहा है। इस बीच ये दिग्गज नेता अब खुद सवालों के घेरे में हैं, क्योंकि सौरभ शर्मा की नियुक्ति ही भूपेंद्र सिंह के परिवहन मंत्री रहने के दौरान हुई थी। 

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 2 साल के अंदर कैसे मिली फील्ड पर पोस्टिंग?

सूत्रों का दावा है कि सौरभ शर्मा के स्वर्गीय पिता राकेश शर्मा जब चिकित्सा अधिकारी थे, उस दौरान उन्होंने जमकर पैसा कमाया था। तत्कालीन शिवराज सरकार में (2013 से 2018 तक) भूपेंद्र सिंह के पास परिवहन एवं आईटी विभाग था। साल 2016 में सौरभ शर्मा की नियुक्ति परिवहन विभाग में हुई थी।  जबकि नियमानुसार वह नियुक्ति का पात्र नहीं था। CMHO ने अधिकार न होने के बावजूद स्वास्थ्य आयुक्त से अनुरोध किया कि सहायक वर्ग-3 का पद रिक्त न होने की वजह से सौरभ को स्वास्थ्य विभाग के अलावा कहीं और नियुक्त कर दिया जाए। जिसके बाद 29 अक्टूबर 2016 को सौरभ शर्मा की भर्ती हुई थी। और यह भर्ती पिछली सरकार के मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर हुई थी।

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इतना ही नहीं, सौरभ शर्मा को लगभग 6 माह के बाद फील्ड पोस्टिंग दे दी गई थी। सूत्रों का दावा है कि यह पोस्टिंग भूपेंद्र सिंह के परिवहन मंत्री रहते हुए हुई थी। जबकि नियम के अनुसार 6 माह तक कार्यालय में सेवाएं देनी होती है। वहीं सौरभ की मां ने भी झूठा शपथ पत्र पेश किया था जिसमें परिवार के किसी भी शख्स को सरकारी नौकरी में नहीं होना बताया गया था। जबकि उसका भाई रायपुर (छत्तीसगढ़) के EOW ऑफिस में अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत है। 

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इस  तरह पावरफुल हुआ सौरभ

सूत्रों का दावा है कि भूपेंद्र सिंह के परिवहन मंत्री रहते हुए सौरभ शर्मा को मध्य प्रदेश के तीन महत्वपूर्व बेरियर (चेक पोस्ट) दिए गए थे। इन तीन जगहों पर सौरभ शर्मा खुद कर्मचारियों की तैनाती करता था। साल बदला, सरकार बदली और कांग्रेस सत्ता में आई। जिसके बाद कमलनाथ सरकार ने गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन मंत्री बना दिया। जिसके बाद सौरभ और अधिक पावरफुल हो गया। सत्ता का साथ उसे ऐसा मिला कि वह खुद प्रदेश के सारे नाके (चेक पोस्ट) तय करने लगा। 

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सौरभ शर्मा पर मंत्रियों और अधिकारियों को था अटूट भरोसा

सरकार किसी की भी रही हो या मुख्यमंत्री कोई भी रहा हो, लेकिन सौरभ शर्मा का दबदबा कम नहीं हुआ। जिस नेता को परिवहन विभाग मिलता, सौरभ उसके पास खुद पहुंचकर RTO से काली कमाई का जरिया बताता था। जिसके बाद सत्ताधीश के दिग्गजों समेत अधिकारियों को अपने भरोसे में ले लेता था।

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मनचाही जगह पोस्टिंग देने लगा भोपाल का ‘धनकुबेर’ 

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सौरभ शर्मा धीरे-धीरे और ताकवर होता गया और उसने सरकारी कर्मचारियों को अपने अनुसार पोस्टिंग देनी शुरू कर दी। कर्मचारियों को तैनात करने के बाद अटेंडेंस रजिस्टर में साइन करवाकर उन्हें घर भेज दिया जाता था। और उनकी जगह अपने आदमियों को तैनात कर वसूली करवाई जाती थी

अकूत कमाई के बाद लिया VRS

बताया जाता है कि 2023 में सौरभ ने अकूत संपत्ति बना ली थी, जिसके बाद उसने वीआरएस ले लिया।  दावा किया जा रहा है कि मंत्रियों के इशारे पर पैसों को ठिकाने लगाने के लिए प्रॉपर्टी में इन्वेंस्ट करना शुरू कर दिया। नौकरी के दौरान पत्नी, साली और अपने सगे संबंधियों के नाम भी कई प्रॉपर्टी खरीदी। बावजूद इसके इतनी बड़ी संख्या में कैश खत्म नहीं हुआ। जिसके बाद नोटबंदी के दौरान उसने सोने की सिल्लियां खरीदनी शुरू कर दी। जानकारी के अनुसार ये सारा सोना किसी और ने खरीदा था जिसे सौरभ ने एक साथ पैसे देकर खरीद  लिया। उसने पत्नी के नाम से मध्य प्रदेश में एक बड़े स्कूल की फ्रेंचायजी भी ले लिया।

पुष्पा स्टाइल में करता था काम, अड़ंगा डालने वाले अफसरों का करवा देता था ट्रांसफर

बताया जा रहा है कि भोपाल का यह ‘धनकुबेर’ पूरी तरह से ‘पुष्पा’ स्टाइल में काम करता था। सौरभ के काम में जो भी अफसर अड़ंगा लगाता था, वह उसके बड़े अधिकारी को पैसे देकर उसका तबादला करवा दिया करता था। उसकी जगह अपने पसंदीदा नौकरशाह को पदस्थ करवा देता था। यहां तक कि आईएएस और आईपीएस की भी उसके आगे नहीं चलती थी।

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