सौरभ शर्मा की नियुक्ति के लिए दरकिनार कर दिए गए थे नियम, पिता की मृत्यु पर अनुकंपा नौकरी नहीं मिली तो CMHO ने की मदद, मां ने भी पेश किया था झूठा शपथ पत्र
शब्बीर अहमद, भोपाल। Saurabh Sharma Bhopal News Update: राजधानी भोपाल के जंगल में खड़ी लावारिस गाड़ी से 52 किलो गोल्ड और 10 करोड़ कैश कांड की जांच जारी है। लेकिन इस जांच की आंच अब प्रशासनिक स्तर तक पहुंच गई है। जिसके बाद पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के साथ मंत्रियों का नाम भी जुड़ने लगा है। इस बीच सौरभ की परिवहन विभाग में नियुक्ति का मामला गरमाने लगा है। इस ‘धनकुबेर’ की नियुक्ति का पत्र सामने आया है जिसमें मालूम पड़ा है कि नियमों को दरकिनार कर परिवहन विभाग में नियुक्त किया गया था।
सौरभ ने पिता की मृत्यु के बाद मांगी थी अनुकंपा नियुक्ति
दरअसल, सौरभ शर्मा के पिता राकेश शर्मा स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। 2015 में उनकी मृत्यु के बाद सौरभ ने स्वास्थ्य विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन वह नियुक्ति का पात्र नहीं था, जिसकी वजह से उसे नौकरी नहीं मिल सकी। CMHO ने अधिकार न होने के बावजूद स्वास्थ्य आयुक्त से अनुरोध किया कि सहायक वर्ग-3 का पद रिक्त न होने की वजह से सौरभ को स्वास्थ्य विभाग के अलावा कहीं और नियुक्त कर दिया जाए। जिसके बाद 29 अक्टूबर 2016 को सौरभ शर्मा की भर्ती हुई थी।
नियुक्ति में सौरभ ने ही खेला था खेल
आशंका जताई जा रही है कि यह पत्र फर्जी था जो स्वास्थ्य विभाग में डिस्पेच ही नहीं हुआ। इस नियुक्ति में सौरभ ने ही खेल खेला था। इसके बाद 10 जून 2023 को सौरभ शर्मा ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।
सौरभ शर्मा की मां ने पेश किया गलत शपथ पत्र!
वहीं, सौरभ शर्मा की मां उमा शर्मा का शपथ पत्र वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके घर से कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है। उन्होंने लिखा था, “मुझ शपथकर्ता के स्वर्गीय पति राकेश कुमार शर्मा जो डी.आर.पी. लाईन ग्वालियर में मेडीकल ऑफीसर के पद पर कार्यरत थे। जिनका स्वर्गवास दिनांक 20.11.2015 को कार्य के दौरान हो गया है। मेरे दो पुत्र हैं। बडा पुत्र सचिन शर्मा अपने परिवार (पत्नी व बच्चों) के साथ विगत 5 वर्षों से रायपुर (छत्तीसगढ़) में नौकरी कर रहे हैं, जो शासकीय नहीं है। मेरे स्वर्गीय पति (डॉ. राकेश कुमार शर्मा) दिवंगत शासकीय सेवक पर आश्रित परिवार को कोई भी सदस्य शासकीय अथवा निगम मण्डल परिषद आयोग आदि में नियमित व नियोजित नहीं है। मैं अपने छोटे पुत्र सौरभ शार्म के साथ ग्वालियर में निवासरत हूं और मेरी पूरी देखरेख और दवादारू छोटा पुत्र सौरभ शर्मा करता है। बड़ा बेटा रायपुर में होने की वजह से मेरी देखरेख करने में असमर्थ है। इस कारण मेरे स्वर्गीय पति के स्थान पर अनुकम्पा मेरे छोटे पुत्र को दी जाए जिस हेतु उक्त कथनो की सत्यता में यह शपथ पत्र प्रस्तुत है।” ऐसे में यह सामने आया है कि सौरभ की मां ने गलत शपथ पत्र दिया था।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकार से मांगे जवाब
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सौरभ शर्मा पर हो रही कार्रवाई के बीच सरकार को घेरते हुए कई सवालों के जवाब मांगे हैं।सोशल मीडिया एक्स पर उन्होंने लिखा, “आरक्षक सौरभ शर्मा के यहां रेड को लगभग एक हफ्ता हो गया है, अभी तक कुछ सवालों के जवाब नहीं मिले हैं।
1- 54 किलो सोना जो मिला वो 6 दिसंबर 2024 के पेपर में लिपटा मिला था, मतलब इतना सोना क्या हर महीने इधर से उधर होता था ?
2- लोकायुक्त की कार्यवाही कैसे लीक हुई ?
3- आईटी, लोकायुक्त एवं पुलिस सबके बयानों में भिन्नता क्यों है ?
4- किसके प्लाट पर गाड़ी पकड़ाई, उस प्लाट मालिक को किसका संरक्षण था ?
5- रेड में शिवराज सिंह के नए मकान के कागज कैसे मिले, आखिरकार यह “शिवराज” कौन है ?
6- सौरभ शर्मा की जिस कार से रात को 2 बजे प्रशासनिक माफियाओं के भूखंडों से 54 किलो सोना, 10 करोड़ नगद और किसी महिला के सौंदर्य प्रसाधन की सामग्रियों मिली है, जबकि लोकायुक्त का छापा अलसुबह डल चुका था तो रात को 2 बजे तक यह कार दिन के उजालों में कहाँ से निकली जबकि सड़कों पर इस कार के घूमते हुए सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक हो चुके है, इस लिहाज से कार्यवाही के ही दौरान कार किस जगह से निकली तो जांच एजेंसियां कहाँ थी ?
7- जिस थाने में कार की गुमशुदगी की एफआईआर लिखाने एक महिला पहुंची थी, उसकी रिपोर्ट लिखने के लिए पुलिस महकमे के किस अधिकारी ने थाने पर दवाब बनाया था ?
8- पुलिस 6 घण्टे तक किसका इन्तिज़ार करती रही, क्या पुलिस ने रेड के लिए मना कर दिया था ?
9- रातीबड़ के स्थानीय लोगों के हिसाब से 3 गाड़ियां थी, अब तक 2 गाड़ियां कहाँ है ?
10- 18 वर्षों में सीएस परिवहन विभाग के एसीएस, पीएस, टीसी को जांच में शामिल क्यों नहीं किया गया है ?
इन सभी वरिष्ठ अधिकारियों के देश – विदेश में अर्जित अकूत संपत्तियों की जांच कराई जाए एवं इन सभी के नियुक्तियां कराने में किस किसकी, क्या – क्या ईमानदार (?) मंशाएं थी उसका भी खुलासा हो ।
11- इन सभी अधिकारियों के सीडीआर एवं उनके घरों के आसपास के कैमरा रिकॉर्डिंग को सरकार जनता के समाने लेकर आये ।
12- सीएस अनुराग जैन एवं डीजीपी कैलाश मकवाना ईमानदार है तो भ्रष्टाचार पर कार्यवाही कर अपनी ईमानदारी का सबूत दे।
13- पूर्व एवं वर्तमान परिवहन विभाग के मंत्रियों के स्टाफ की सीडीआर को सरकार उजागर करे।
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