legal advice – दुष्प्रेरण के अपराधी को न्यायालय कब छोड़ देता है जानिए


भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 49 एवं 50 में दण्ड का प्रावधान दिया गया है, दुष्प्रेरण के अपराध का वहीं दण्ड होगा जो अपराध उसके द्वारा करवाया गया है, या उस अपराध को करने के लिए उकसाया गया हो, लेकिन कई बार दुष्प्रेरण के अपराध से दण्डित व्यक्ति को भी दोषमुक्त कर दिया जाता है। जानिए:-

महत्वपूर्ण जजमेंट सुप्रीम कोर्ट:-

हरधन चक्रवर्ती बनाम भारत संघ मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि जहां अपराधकर्ता सहित अन्य दुष्प्रेरणकर्ता को दोषमुक्त कर दिया गया हो वहा केवल एक ही शेष बचे दुष्प्रेरक को भी दोषमुक्त किया जाना न्यायोचित होगा। मदनराज भंडारी बनाम राजस्थान राज्य के वाद में गर्भपात के लिए दोषी आरोपी की दोषमुक्ति के परिणामस्वरूप उस अपराध के दुष्प्रेरक को दुष्प्रेरण के अपराध से दोषमुक्त करना न्यायोचित माना गया। 

कुलमिलाकर कहे तो अगर किसी मुख्य आरोपी को अपराध मुक्त कर दिया जाता है तो उस अपराध से संबंधित सह आरोपी को जो दुष्प्रेरण के अपराध से दण्डित था उसे भी दोषमुक्त किया जाना उचित होगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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