अतिथि विद्वान से हाई कोर्ट ने कहा, सीधी के SP, TI और प्रिंसिपल के खिलाफ केस फाइल करें
जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश ने आज एक जनहित याचिका का निराकरण करते हुए याचिका दाखिल करने वाले अतिथि विद्वान को इस बात के लिए स्वतंत्र कर दिया कि वह, सीधी जिले के पुलिस अधीक्षक एवं मझौली थाने के पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ FIR के लिए सक्षम प्राधिकारी के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करें और कॉलेज के प्रिंसिपल एवं अन्य के खिलाफ सक्षम न्यायालय में कोर्ट केस फाइल करें।
अतिथि विद्वान डॉ. रामजस चौधरी की जनहित याचिका
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, मध्य प्रदेश के जिला सीधी के मझौली में शासकीय आर्ट एण्ड कॉमर्स कॉलेज में गेस्ट फैकेल्टी शिक्षक डॉ. रामजस चौधरी द्वारा हाईकोर्ट में दिनांक 09/12/2024 को जनहित याचिका दायर कर शासकीय महाविद्यालय की प्राचार्य, श्रीमती गीता भारती एवं उनके पति एसआर भारती तथा शिक्षक राजकिशोर तिवारी, संदीप कुमार शर्मा, विपेन्द्र द्विवेदी पर गंभीर आरोप लगाते हुए आरएसएस जॉइन कराने के तथा जॉइन न करने पर प्राणघातक हमला कराने तथा सेवाए समाप्त करने के गंभीर आरोपों के साथ की गई शिकायत पर थाना मझोली जिला सीधी के पुलिस अधीक्षक द्वारा कार्यवाही नही किए जाने के कारण हाईकोर्ट मे एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसकी सुनवाई दिनांक 19/12/2024 को चीफ जस्टिस जी सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन खण्डपीठ द्वारा की गई।
अतिथि विद्वान के वकीलों की दलील
सुनवाई के दौरान कोर्ट को वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने बताया कि याचिकाकर्ता अनुसूचित जाति वर्ग का है, जो गेस्ट फैकेल्टी शिक्षक के रूप में शासकीय महाविद्यालय मझौली जिला सीधी में पदस्थ है। याचिकाकर्ता को निरंतर कालेज की प्राचार्य एवं उनके पति सहित कालेज के अन्य शिक्षक RSS ज्वाइन करने तथा आयोजित अशैक्षणिक कार्य, धार्मिक कार्यो में भाग लेने दबाव बनाया जा रहा है। चूंकि याचिका बुद्धिस्ट होने के नाते उक्त कार्य में भाग लेने तथा RSS जॉइन करने से साफ़ इनकार कर दिया गया। तब आवेदक/ याचिकाकर्ता पर प्राचार्य की सह पर बाहरी लोगों द्वारा कालेज से बाहर निकाल कर 12/9/2024 को प्राण घातक हमला कराया गया तथा उसे जातिगत रूप से अपनानित किया गया। जिसकी शिकायत मजोली थाना मे की गई। उक्त घटना सहित पूर्व की अन्य घटनाओं के विरुद्ध की गई शिकाएयतों पर भी दोषियों के विरुद्ध पुलिस ने कार्यवाही नही की तथा दिनांक 10.12.24 को याचिकाकर्ता की सेवाए भी समाप्त कर दी।
उक्त दोनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करके होर्ट ने जनहित याचिका को निराकृत कर याचिकाकर्ता को स्वत्रंता दी गई की पुलिस अधीक्षक तथा थाना प्रभारी के विरुद्ध एटरोसिटी एक्ट की धारा 4 के तहत सक्षम प्राधिकारी को कार्यवाही करने आवेदन प्रस्तुत किया जाए तथा शेष दोषियों के विरूद्ध सक्षम न्यायालय मे आपराधिक कार्यवाही करे।
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