legal advice – गंभीर चोट की आशंका में आक्रमणकारी की जान ले लेना अपराध है या नहीं जानिए
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 38 के खंड 01 एवं 02 में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने की आशंका हो तो वह अपनी रक्षा के लिए हमलावर की मृत्यु तक कर सकता है, लेकिन खतरे की आशंका तत्काल होना चाहिए धमकी के कारण है आशंका मान्य नहीं है।
(क) ऐसा हमला, जिससे मृत्यु होने की संभावना है जैसे कि :-
– हमला इतना गंभीर होना चाहिए कि इससे मृत्यु की आशंका हो।
– हमलावर का इरादा मृत्यु कारित करना होना चाहिए।
– हमले की प्रकृति और हमलावर के इरादे को देखते हुए, यह आशंका कारित होनी चाहिए कि हमले का परिणाम मृत्यु होगा।
(ख) ऐसा हमला, जिससे घोर उपहति गंभीर चोट होना हो जैसे कि:-
– हमला इतना गंभीर होना चाहिए कि इससे घोर उपहति की आशंका हो।
– हमलावर का इरादा घोर उपहति कारित करना होना चाहिए।
– हमले की प्रकृति और हमलावर के इरादे को देखते हुए, यह आशंका कारित होनी चाहिए कि हमले का परिणाम घोर उपहति होगा।
इस संबंध में जानिए महत्वपूर्ण निर्णय:-
▪︎ देवनारायण बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभिमत किया कि खतरे की आशंका तभी उचित मानी जाएगी जब खतरा तत्काल हो।
न्यायालय ने आगे कहा कि सिर पर किए गए लाठी के वार के बदले भाले का वार IPC की धारा 100 (अब वर्तमान में BNS की धारा 38) के संदर्भ मे निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का अतिक्रमण नहीं होगा।
▪︎ घूरेलाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में न्यायालय ने कहा की अगर आक्रमणकारी सिर पर लाठी से बार कर रहा है और उसके पास हथियार भी है तब बचाव पक्ष अपनी रक्षा में गोली चला दे और हमलावर की मृत्यु हो जाए तो बचाव पक्ष को निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का लाभ मिला जाना उचित होगा। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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