BHOPAL NEWS – खटारा बसों में गरीबों का बसेरा बनाया जाएगा, प्लान सफल होगा या नहीं, पढ़िए


Bhopal Municipal Corporation ने डिसाइड किया है कि, BCLL की खटारा बसें जिन्हें कबाड़ वाले को 30-35 हजार रुपए में बेच दिया जाता था, अब उन बसों में गरीबों के लिए रैन बसेरा बनाया जाएगा। खटारा बसों के अंदर सोने वालों का मौसम से कैसे बचाव होगा, यह तो नगर निगम के इंजीनियर ही जाने परंतु भोपाल नगर निगम के अध्यक्ष श्री किशन सूर्यवंशी बड़े उत्साहित हैं और इसे अपना अद्वितीय इनोवेशन ‘कचरे से कंचन’ बता रहे हैं। 

क्या तकनीकी रूप से यात्री बस को रेजिडेंशियल बस बनाया जा सकता है

श्री किशन सूर्यवंशी का कहना है कि, सिर्फ ढाई लाख रुपए में खटारा बस को रेन बसेरा बना दिया जाएगा। इस मामले में हमने ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स से सवाल किए। पूछा, कि क्या यात्री बस को रेजिडेंशियल बस बनाया जा सकता है। क्या इस प्रकार की रेजिडेंशियल बस भोपाल के सभी मौसम में आरामदायक रहेगी। अंदर सोने वालों को डिस्टर्ब तो नहीं करेगी। श्री अतुल माहेश्वरी ने बताया कि, यदि पैसेंजर बस को रेजिडेंशियल बस में बदलना है तो इसकी छत, दीवार और फर्श कोई लकड़ी से कर करना पड़ेगा। गर्मी, सर्दी और बरसात, सभी मौसम के लिए बस को इंसुलेटर करना होगा। इसके लिए थर्मल इंसुलेशन की जरूरत होगी। वेंटीलेशन के लिए रेजिडेंशियल बस में एयर कंडीशनिंग सिस्टम अनिवार्य है। इसके बिना बस के अंदर का तापमान और हवा की गुणवत्ता खराब हो जाएगी। 

बिजली के लिए सोलर सिस्टम और पानी के लिए छत पर बड़ा वाटर टैंक लगाना होगा। वॉटर टैंक भरने के लिए या तो रोज टैंकर भेजने हुआ या फिर वाटर सप्लाई का कनेक्शन देना होगा। ग्रे वॉटर सिस्टम भी लगाना पड़ेगा नहीं तो यात्रियों के नहाने धोने का पानी बस से सीवर लाइन तक ले जाने के लिए पाइपलाइन बिछानी पड़ेगी। 

कहीं कचरे से कंचन के चक्कर में कंचन ही कचरा ना हो जाए

कुल मिलाकर यदि आप एक यात्री बस को रेजिडेंशियल बस में बदलना चाहते हैं तो उसे वैनिटी वैन बनाना पड़ेगा और वैनिटी वैन की कीमत एक मकान की कीमत से बहुत ज्यादा होती है। नगर निगम को ध्यान देना होगा कहीं “कचरे से कंचन” के चक्कर में कंचन ही कचरा ना हो जाए। 

भोपाल में 40 रैन बसेरों की जरूरत है

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में फिलहाल सिर्फ 13 रैन बसेरे हैं जिनमें से दो बंद है। स्थिति यह है कि 150 क्षमता वाले रेन बसेरा में 450 लोग बसर कर रहे हैं। इस हिसाब से भोपाल में टोटल 40 रैन बसेरों की जरूरत है। जो गरीब भोपाल का मतदाता है उसे रहने के लिए पक्का मकान दिया जा रहा है लेकिन जो गरीब दूसरे शहर से भोपाल में आता है उसे रात गुजारने के लिए चार दीवार का भी इंतजाम नहीं है। खटारा बसों में पेंटिंग करके उन्हें फोटोजेनिक बनाया जा रहा है, ताकि दुनिया भर में जहां भी प्रेजेंटेशन देने की जरूरत पड़े, लोग मोहित हो जाएं। 

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