MPPSC वेटरनरी असिस्टेंट सर्जन भर्ती परीक्षा, हाई कोर्ट ने वेटिंग लिस्ट की वैलिडिटी बढ़ाई


जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश द्वारा वेटरनरी असिस्टेंट सर्जन चयन परीक्षा 2021 की वेटिंग लिस्ट की वैलिडिटी बढ़ा दी है। WP 30479/2024, एवं WP 30487/2024 में अभ्यर्थियों ने बताया है कि उन्हें नियमों का उल्लंघन करते हुए वेटिंग लिस्ट में डाल दिया गया है और अब वेटिंग लिस्ट की वैलिडिटी खत्म होने वाली है। उच्च न्यायालय ने इस याचिका के निर्णय तक वेटिंग लिस्ट को वैलिड घोषित कर दिया है। 

वेटरनरी असिस्टेंट सर्जन भर्ती परीक्षा में 32% EWS आरक्षण दे दिया

जिला सतना निवासी विनीत तिवारी और बालाघाट निवासी तुषार ठाकरे ने याचिका दायर कर वेटरनरी असिस्टेंट सर्जन की भर्ती परीक्षा 2021 को चुनौती दी है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस श्री सुरेश कुमार कैथ और न्यायमूर्ति श्री विवेक जैन की खंडपीठ में की गई। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि अनारक्षित 25 पदों का 10% अर्थात 2.5 यानी कि अधिकतम 3 पद EWS को दिया जाना था लेकिन मध्य प्रदेश सरकार और लोक सेवा आयोग ने संपूर्ण पदों से 8 पद EWS रिजर्वेशन को दिया गया हैं जिसके कारण याचिकाकर्ताओं का चयन होने से वंचित हो गए है। 

MPPSC ने जबरदस्ती अंडरटेकिंग ले ली

याचिकाकर्तागण मेरिटोरियस होने से 87% के भाग में चयनित हुए हैं। लोक सेवा आयोग द्वारा याचिकाकर्ताओं से अंडरटेकिंग लिया है कि वे किसी भी हालत 13% पदों पर दावा नहीं कर सकते हैं। लोक सेवा आयोग ने बिना अंडरटेकिंग के इंटरव्यू में शामिल होने से रोक दिया था जिसके कारण याचिकाकर्ता को मजबूरी में अंडरटेकिंग देनी पड़ी थी। 

MPPSC वेटिंग लिस्ट की वैधता सिर्फ एक साल होती है

याचिकाकर्ता के तर्क था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का रक्षण एक हॉरिजॉन्टल आरक्षण है परन्तु सरकार द्वारा सोशल आरक्षण की तरह लागू कर इसे वर्टिकल आरक्षण में बदल दिया गया है, जो संविधान के विपरीत है। याचिकाकर्ताओं का नाम प्रतीक्षा सूची में शामिल है लेकिन प्रतीक्षा सूची की वैधता मात्र एक वर्ष की होती है और परीक्षा से एक वर्ष बीत जाने पर इसकी वैधता स्वमेव समाप्त हो जाती है, तो इससे याचिकाकर्ताओं के याचिका निष्प्रभावी हो जाने के संभावना है। 

याचिकाकर्ताओं का चयन सुनिश्चित है

याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता याचिकार्ताओं की और से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेंद्र कुमार शाह, रूप सिंह मरावी एवं मधुसूदन कुर्मी ने पैरवी किया। न्यायालय को बताया कि प्रोविजनल 13% पदों पर सिर्फ दो ही व्यक्तियों का चयन किया गया है जबकि 10 पद रिक्त हैं जिससे स्पष्ट है कि ओबीसी रक्षण 14% दिया जाए या 27% दिया जाए याचिकाकर्ताओं का चयन दोनों ही स्थितियों में हो ही जाएगा। 

याचिकाकर्ताओं की और से बताया गया कि सरकार द्वारा मनमाने तरीके से 13% पद होल्ड किए जा रहे हैं जबकि आरक्षण अधिनियम 1994 ओबीसी को 27% आरक्षण का प्रावधान करता है, जिस प्रावधान को आज तक किसी भी कोर्ट के द्वारा स्थगित या निरस्त नहीं किया गया है। ओबीसी वर्ग के याचिकार्ताओं को 87% की वेटिंग लिस्ट में रखा गया है जबकि 13% की प्रावधिक सूची में कोई भी अभ्यार्थी नहीं है। जिससे चाहे 27% ओबीसी को मिले या फिर 14% रिजर्वेशन ओबीसी को मिले, दोनों स्थितियों में याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति हो जाएगी। 

 

वहीं आगे याचिकार्ताओं द्वारा यह भी बताया गया कि EWS के अभ्यर्थियों को नियम विरुद्ध ज्यादा पदों पर नियुक्त दे दी गई। इस तरह उक्त भर्ती में आरक्षण के नियमों का स्पष्टरूप से जानबुझकर उल्लंघन किया गया है। याचिकाकर्ताओं के सभी बिंदुओं पर लोक सेवा आयोग और सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगते हुए उच्च न्यायालय अंतरिम आदेश जारी कर प्रतीक्षा सूची एक वर्ष के बाद भी वैध किया। अगली सुनाई 17 दिसंबर 2024 को नियत किया।

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