legal advice – अपराध के साक्ष्य को मिटाना या विलोपित करने वाले व्यक्ति को कोर्ट कब छोड़ सकता है जानिए


भारतीय न्याय संहिता ,2023 की धारा 238 में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति, किसी को बचाने के लिए झूठे साक्ष्य देगा या उसे बचाने के लिए झूठ बोलेगा तब उस व्यक्ति को अपराधी माना जाएगा लेकिन अगर किसी व्यक्ति को BNS की धारा 238 अंतर्गत गिरफ्तार किया गया है तब न्यायालय उसे कब छोड़ देता है जानिए महत्वपूर्ण जजमेंट:-

1. उत्तर प्रदेश राज्य बनाम कपिल देव वाद:- मृतक का शव बोरे में पैक करके एक बक्से में रखा हुआ आरोपी के मकान से बरामद किया गया था परतुं हत्या का कोई साक्ष्य उपलब्ध न होने के कारण आरोपी को IPC की धारा 201 (अब वर्तमान मे यह BNS की धारा 238 है) के अपराध से दोषमुक्त कर दिया।

2. भूपेंद्र सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य वाद:- इस मामले में मृतक के शरीर के कुछ जले हुए अवशेष पाए जाने मात्र के आधार पर आरोपी को IPC की धारा 201 (अब वर्तमान मे यह BNS की धारा 238 है) के अंतर्गत दोष सिद्ध किया जाना उचित नहीं समझा गया।

3. बाटापा बङा सेठ बनाम राज्य मामले में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने विनिश्चय किया कि मृतक के शव को एक स्थान से दूसरी जगह पहुंचाना यह नहीं कहा जा सकता है कि शव को विलोपित किया गया है।

उक्त निर्णयों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब तक कोई ठोस साक्ष्य नहीं है तब तक किसी भी व्यक्ति को अपराध के विलोपन या नष्ट के अपराध से दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता है। लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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