Dussehra 2024: यहां इष्ट देव मानकर होती है रावण और कुंभकरण की पूजा, गांव में मौजूद है डेढ़ सौ साल पुरानी मूर्तियां


शुभम जायसवाल, राजगढ़। Dussehra 2024: दशहरे के अवसर पर देशभर में रावण का पुतला दहन किया जाता है. वहीं, मध्‍य प्रदेश के राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव में रावण और कुंभकरण की पूजा करते हुए गांव में सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाती है. यकीनन एक तरफ पूरा देश जश्न के साथ असत्य पर सत्य की जीत के लिए रावण के पुतले का दहन कर रहा होता है, तो राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव के लोग गाजे-बाजे के साथ रावण और कुंभकरण को इष्ट देव मानकर पूजा अर्चना करते हैं.

राजगढ़ जिले के भाटखेड़ी गांव में लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी रावण और कुंभकरण की मूर्तियां मौजूद हैं. इन दोनों को ग्रामवासी इष्टदेव मानते हैं. मान्यता है कि इनकी पूजा करने से गांव पर कभी भी विपत्ति नहीं आती है और हमेशा गांव में खुशहाली बनी रहती है. गांववालों का मानना है कि रावण और कुंभकरण दोनों भाई गांव की रक्षा करते है.

दशहरे पर रावण और कुंभकरण का नहीं होता दहन
पूरे देश में दशहरे के दिन रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ का दहन किया जाता है, लेकिन इस गांव में यह परंपरा नहीं निभाई जाती है. भाटखेड़ी गांव नेशनल हाईवे आगरा-मुंबई पर स्थित है. यहां पर नजदीक एक खेत में रावण और कुंभकरण की मूर्तियां स्थापित हैं. जबकि यहां के लोग बताते हैं कि यह मूर्तियां लगभग डेढ़ सौ साल से भी अधिक पुरानी हैं, जो कि उनके पूर्वजों के द्वारा यह स्थापित की गई थीं.इस गांव को रावण वाली भाटखेड़ी के नाम से जाना जाता है.

नवरात्रि में होती है रावण और कुंभकरण की पूजा
भाटखेड़ी के ग्रामीण कहते है कि हम रावण और कुंभकरण को राक्षस नहीं मानते हैं बल्कि वह हमारे लिए इष्ट देवता हैं. साथ ही बताया कि यहां पर लोग दूर दूर से अपनी मुरादें लेकर आते हैं और उनकी मुराद भी पूरी होती है. वहीं, जब भी गांव में विपदा होती है या बारिश के मौसम में सूखे जैसी स्थिति दिखाई देती है, तो गांव के लोग यहां पर इकट्ठा होते हैं और देवता रावण से प्रार्थना करते हैं कि उनके गांव में जल्द से जल्द बारिश हो.

कल्याण सिंह के मुताबिक, जिस दिन पूजा की जाती है उसी दिन बारिश भी शुरू हो जाती है. वहीं, ग्रामीणों का यह भी कहना है कि आसपास के लोग यहां पर संतान प्राप्ति की कामना लेकर भी आते हैं. जबकि दंपत्ति संतान की मनोकामना पूर्ण होने पर नवरात्रि के के दौरान रावण और कुंभकरण की पूजा करने पहुंचते हैं.

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