मध्य प्रदेश सरकारी नौकरियों में 87-13 फॉर्मूला किस नियम के तहत लागू हुआ, हाईकोर्ट ने पूछा


जबलपुर से हाई कोर्ट ऑफ़ मध्य प्रदेश में जस्टिस श्री संजय द्विवेदी की खंडपीठ में आज दिनांक 8/4/24 को याचिका क्रमांक यूपी 6945/ 2024 की सुनवाई की गई। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी परीक्षा 2021 के रिजल्ट में  विसंगति को लेकर याचिका दायर की गई। याचिका दायर करने वाले सागर जिला से सुरेंद्र कुमार विश्वकर्मा जिला भोपाल से स्मृता पटेल, राजगढ़ से मनीष कुमार भंडारी तथा शांतनु वीरमल और जिला बड़वानी से नितिन पाटीदार ने याचिका दायर किया है। 

उनके अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, सभी याचिकाकर्ता आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी 2021 में मेरिटोरियस अभ्यर्थी हैं। याचिका कर्ताओ के मुख्य परीक्षा में अधिक प्राप्ताँक हैँ जिससे इनका चयन 87% के मुख्य चयन सूची में किया गया। मौखिक परीक्षा इंटरव्यू के समय मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा अवैधानिक रूप से याचिकाकर्ताओं से अभिवचन पत्र पर हस्ताक्षर करवाया गया, जिससे याचीकाकर्ताओं का मेरिट के आधार पर चयनित होने का संवैधानिक अधिकार प्रभावित किए जाने का आयोग को अधिकार मिल सके। आयोग द्वारा उक्त अभ्यर्थियों के साथ साथ किसी भी अभ्यर्थीयों के अंक तथा मेरिट रेंक भी घोषित नहीं की गई जिससे सस्ता भर्तियां संदेह युक्त तथा हास्यास्पद हैँ। 

अधिवक्ता श्री ठाकुर के अनुसार, आयोग की अवैधानिक शर्तो के अनुसार 87- 13 फॉर्मूला के अनुसार 87% के अधीन चयनित होने वाले अभ्यर्थी 13 परसेंट में चयनित होने का दावा नहीं कर सकते हैं इसके विपरीत भी 13 परसेंट के अधीन चयनित होने वाले अभ्यर्थी 87 परसेंट में चयनित होने का दावा नहीं कर सकते हैं चाहे उनका मेरिट कितना भी क्यों ना हो। जबकी मध्य प्रदेश सिविल सेवा परीक्षा नियम 2015 के नियम 4 के अनुसार किसी भी व्यक्ति का चयन मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में प्राप्त किए गए अंकों के योग के आधार पर मेरिट के अनुसार चयन किया जाता है। 

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह और रामेश्वर सिंह ठाकुर पुष्पेंद्र कुमार शाह रूप सिंह मरावी न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता का विधि के अनुसार चयनित होने का संवैधानिक अधिकार से बंचित किया जा रहा है। आरक्षण अधिनियम 1994 की अपबंधों के अनुसार ओबीसी को 27 परसेंट आरक्षण दिया गया है जिस पर किसी भी न्यायालय द्वारा अभी तक स्थगन आदेश नहीं दिया गया है, इसके बावजूद भी महाधिवक्ता कार्यालय के द्वारा कानून के विरुद्ध जारी अभिमत के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दिनांक 29/9/2022 को सर्कुलर जारी कर  87% एवं 13% का फॉर्मूला जारी करके ओबीसी एवं सामन्य वर्ग के लाखो अभ्यार्थियो के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। 

जिसके कारण हाई कोर्ट में मुकदमों की बाढ़ आ गई है। जस्टिस संजय द्विवेदी द्वारा शासकीय अधिवक्ता श्री गिरीश केकरे के अनुरोध पर उक्त प्रकरण को दिनांक 18 अप्रैल 2024 सुनवाई हेतु नियत किया गया तथा स्पष्ट रूप से निर्देशन किया गया कि इस 87-13 का फार्मूला क्या है किस नियम के तहत जारी किया गया है कोर्ट को बताएं। 

🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। शिक्षा और रोजगार से संबंधित महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में career पर क्लिक करें।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *