मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार की एक और व्यवस्था


मध्यप्रदेश शासन, स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल द्वारा संचालित अब तक की सबसे विवादित शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की एक और व्यवस्था कर दी गई है। दिनांक 28 जून 2024 को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नियम बदल दिए गए हैं और यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिए गए हैं। नवीन नियमों में कुछ इस प्रकार की व्यवस्था की गई है कि, उम्मीदवारों को कई जगह दौड़ धूप करनी पड़ेगी और पूरी संभावना है कि कुर्सी पर बैठा बाबू इसी बात का फायदा उठाएगा। 

डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का नया सिस्टम क्या है 

लोक शिक्षण मध्य प्रदेश के संचालक श्री केके द्विवेदी ने समस्त संभागीय संयुक्त संचालक एवं जिला शिक्षा अधिकारी के नाम जारी पत्र क्रमांक-यूसीआर/सी/29/उ.मा.शि./2024/980 दिनांक 28 जून 2024 में लिखा है कि, स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत उच्च माध्यमिक शिक्षक नियोजन 2023 के चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का जिला स्तर से सत्यापन उपरांत संचालनालय को दस्तावेज/नस्तियों का एक सेट प्रेषित किया गया है। नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने पर समस्या आती है। अतः निर्देशित किया जाता है कि आपके जिले में सत्यापित किए गए अभ्यर्थियों के निम्नानुसार दस्तावेजों का उनके जारीकर्ता कार्यालयों से सत्यापन कराएं। 

1. अभ्यर्थियों की अंकसूचियों (स्नातक, स्नातकोत्तर एव बीएड) का सत्यापन संबंधित विश्वविद्यालय / स्वशासी महाविद्यालय से करावे।

2. आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) वर्ग का लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों के EWS प्रमाणपत्र का सत्यापन संबंधित जारीकर्ता अधिकारी से करावें इसमें यह स्पष्ट लेख करेंकि संबंधित की आय एवं संपत्ति का प्रमाणीकरण करें।

3. अन्य पिछड़ा वर्ग/अनूसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग का लाभ लेने वाले अभ्यर्थियों के जाति प्रमाणपत्र का सत्यापन जारीकर्ता अधिकारी से करावें।

4. अतिथि शिक्षक अनुभव का लाभ लेने वाले ऐसे अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाणपत्र की जाँच संकुल के दस्तावेजों से चेक करवाए। जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जारी प्रमाणपत्रों की जॉच संबंधित जिले के सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग से कराये। 

इस सिस्टम में प्रॉब्लम क्या है 

उम्मीदवार को मार्कशीट का वेरिफिकेशन करवाने के लिए वापस कॉलेज जाना पड़ेगा। कॉलेज में उम्मीदवारों की भीड़ लग जाएगी, क्योंकि उच्च शिक्षा विभाग ने डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए कोई डेस्क नहीं बनाई है, इसलिए तनाव की स्थिति बन जाएगी। सरकारी नौकरी का सवाल है, उम्मीदवार को समझौता करना पड़ेगा और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का प्रभार जिस कर्मचारी को मिलेगा वह उम्मीदवारों की मजबूरी का फायदा उठाएगा। 

यही स्थिति EWS सर्टिफिकेट, जाति प्रमाण पत्र और अतिथि शिक्षकों के एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट के मामले में होगी। 

लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त होते कौन है ऐसा आदेश जारी करने वाले

दरअसल, लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त महोदय स्वयं को राज्यपाल समझ बैठे हैं। शासन से अनुमति लिए बिना ही ऐसा आदेश जारी कर दिया जिसमें दूसरे विभागों का काम प्रभावित होता है। यह काम सामान्य प्रशासन विभाग का है। जरा बताइए, लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त के आदेश का पालन कोई सरकारी कॉलेज का प्रिंसिपल, किसी दूसरे डिपार्टमेंट का हेड क्यों करेगा। आयुक्त महोदय की तिकड़म देखिए। एक तरफ उन्होंने अतिथि शिक्षकों के एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट को स्कूल से वेरीफाई करवाने के आदेश जारी कर दिए और दूसरी तरफ स्कूल के प्राचार्य को आदेशित नहीं किया कि वह निर्धारित समय में वेरिफिकेशन का काम पूरा करें। यानी अपनी ही व्यवस्था में रिश्वतखोरी की गुंजाइश बना दी है। 

काम इमानदारी से तभी हो सकता है जब डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से किया जाए और उम्मीदवार को इसकी जानकारी तक ना हो। यदि उम्मीदवार को उसका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करवाने के लिए भेज दिया तो एक तरफ रिश्वतखोरी और दूसरी तरफ दस्तावेजों की कूट रचना के मामले बढ़ जाएंगे। 

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