इन्वेस्टिगेशन स्टोरी पार्ट 4: नेपा लिमिटेड में 23 करोड़ की लागत से बना ET प्लांट बंद , 8 महीने में बनकर तैयार होने वाला Plant 4 साल में बना, बड़े घोटाले की संभावना, CBI जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा 


हेमंत शर्मा, इंदौर। एशिया की सबसे पहले पेपर मील में लगातार अनियमितताएं सामने आ रही है। lalluram.com ने जब पूरे मामले की पड़ताल की तो चौंका देने वाले तथ्य सामने आए। जिसमें 8 महीने के अंदर तैयार होने वाला ET प्लांट 4 साल में बनकर तैयार हुआ। जिसकी 23 करोड़ रुपए लागत आनी थी। लेकिन अतिरिक्त 2 करोड रुपए और कंपनी के शीर्ष प्रबंधन के द्वारा हार्डरॉक के लिए स्वीकृत किए गए। ET प्लांट बनाने वाली अहमदाबाद की कंपनी अरविंद इन्विसोल को दिया गया। इसके साथ ही बड़ी चौका देने वाली बात यह है कि ET प्लांट 1 साल के अंदर ही खराब हो गया।  इसकी दीवारें टूटने लगी, जिसकी फोटो लल्लूराम डॉट कॉम के पास उपलब्ध हैं।  

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नियम कहता है कि जब कोई भी कंपनी किसी प्लांट को बनाकर प्रोजेक्ट को तैयार करती है तो उसका पैसा सिक्योरिटी मनी के तौर पर अपने पास रखा जाता है। लेकिन उसे भी नेपा लिमिटेड के तत्कालीन अधिकारियों ने क्यों रिलीज कर दिया इस पर भी सवाल खड़े होते हैं।  हालांकि इस नेपा लिमिटेड में कई अनियमितताएं हैं, जिसे परत दर परत हम सामने लाएंगे।  जैसे ही lalluram.com ने नेपा लिमिटेड की खबरें को प्रकाशित करनी  शुरू की। उसके बाद से ही लगातार शीर्ष पद पर बैठे अधिकारियों द्वारा खबरों को रोकने के पूरे प्रयास किए गए।  लेकिन lalluram.com नेपा वासियों  के साथ है और नेपा के युवाओं को न्याय दिलाने के लिए कटिबद्ध है। 

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नेपा मिल में 23 करोड़ रुपये की लागत से ET प्लांट बना कर तैयार किया गया था। इस संयंत्र परियोजना में बड़े पैमाने पर देरी और गुणवत्ता की गंभीर खामियां सामने आई हैं। इस परियोजना का ठेका M/S ARVIND ENVISOL, अहमदाबाद को 26 फरवरी 2019 को दिया गया था और इसे 8 महीनों में पूरा होना था। हालांकि, परियोजना को पूरा होने में 4 साल लग गए। ET प्लांट की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर सवाल उठे हैं। दीवारें और टैंक डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड से पहले ही जगह जगह से टूट लगा है। किसी भी निर्माण कंपनी द्वारा 1 साल की गारंटी दी जाती है, लेकिन इस ET प्लांट में 1 साल के भीतर ही टूट-फूट की समस्याएं सामने आईं है।

अनियमितताएं 

पूरे कार्य के दौरान किसी भी इंस्ट्रूमेंट, मैकेनिकल, सिविल इंजीनियर की साइन किसी भी बिलों पर नहीं ली गई। समस्त बिल एक छोटे कर्मचारी ने प्रमाणित कर ऊपर भेज दिए और समस्त भुगतान कर दिया गया। गुणवत्ता की खामियों के कारण नेपा मिल को अपने स्वयं के पैसे खर्च करके सुधार कार्य करना पड़ा। यह मामला जांच का विषय है और इसे गंभीरता से लिया जाना भी चाहिए।

 केंद्रीय एजेंसियों से है जांच की आवश्यकता 

ET प्लांट में हुए घोटाले की केंद्रीय एजेंसियों को बारीकी से जांच करना चाहिए। क्योंकि प्रबंधन द्वारा ना ही गुणवत्ता की जांच की गई और अब प्लांट बंद होने के बाद कोई कार्रवाई दोषियों पर होती हुई नजर नहीं आई है। अगर केंद्रीय जांच एजेंसियां पूरे मामले में जांच करती है, तो चौंका देने वाले तथ्य और अनियमितताएं सामने आ सकती हैं। इतनी बड़ी लागत से तैयार किया हुआ प्रोजेक्ट फेल होने के कारण दूषित पानी मस्क नदी में बह रहा है, जो  आसपास की कॉलोनी में फैल रहा है। 

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