BHOPAL की प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था UPPSC का पेपर, प्रेस का इंजीनियर गिरफ्तार


उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने भोपाल की एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले इंजीनियर सुनील रघुवंशी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित RO/ARO भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच कर रही है। इसी दौरान पता चला कि यूपी पीएससी द्वारा पेपर की प्रिंटिंग मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस से करवाई गई थी और वहीं से पेपर लीक हुआ है। 

UPPSC परीक्षा के ठीक पहले पेपर वायरल हो गया था

उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग प्रयागराज ने 11 फरवरी 2024 को समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) परीक्षा-2023 का आयोजन किया था। इस परीक्षा के शुरू होने से पहले ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने की शिकायत मिली थी। जिसके बाद सरकार ने परीक्षा को निरस्त कर दी थी और यूपी एसटीएफ को इसकी जांच सौंपी थी। जांच में सामने आया कि मास्टरमाइंड राजीव नयन मिश्रा, सुभाष प्रकाश, विशाल दुबे और सुनील रघुवंशी (प्रिटिंग प्रेस कर्मी) अलग-अलग प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में, लेकिन भोपाल में पढ़ते थे। विशाल दुबे और सुनील रघुवंशी साल 2014 से 2017 तक इंजीनियरिंग कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे।

पहले एडमिशन करवाते थे अब पेपर लीक करते हैं

पढ़ाई पूरी होने के बाद, सुनील रघुवंशी प्रिंटिंग प्रेस में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर नौकरी करने लगा और सुभाष प्रकाश प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में नौकरी करने लगा। विशाल दुबे और राजीव नयन मिश्रा प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में इच्छुक छात्रों का एडमिशन कराने का काम करते थे। इसी सिलसिले में इन दोनों की सुभाष प्रकाश से जान-पहचान और दोस्ती हो गई थी। विशाल दुबे को जब पता चला कि उसके साथ का पढ़ा हुआ सुनील रघुवंशी उस प्रिंटिंग प्रेस में काम करता है जिसमें कई परीक्षाओं के पेपर छापने के लिए आते हैं, तो यह बात विशाल दुबे ने मास्टरमाइन्ड राजीव नयन मिश्रा उर्फ राहुल और सुभाष प्रकाश को बताई। इसके बाद सुनील रघुवंशी को भी उन्होंने अपने रैकेट में शामिल कर लिया। 

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, प्रयागराज द्वारा आयोजित RO/ARO परीक्षा का पेपर प्रिंटिंग के लिए भोपाल की प्रेस पर भेजा गया। यहां पर प्रिंटिंग के दौरान सुनील रघुवंशी ने चुपके से पेपर की वह कॉपी चुरा ली, जिसकी प्रिंटिंग क्वालिटी खराब थी और जिसे थोड़ी देर बाद नष्ट कर दिया जाना था। यही पेपर व्हाट्सएप के जरिए उम्मीदवारों को बेचा गया और फिर बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। 

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