BNSS- क्या मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत मौखिक, डाक-तार द्वारा भी की जा सकती है जानिए


जब किसी व्यक्ति के साथ कोई संज्ञेय या असंज्ञेय अपराध होता है तो वह इसकी शिकायत डायरेक्ट आधिकारिता रखने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट को कर सकता है। इस शिकायत पत्र को आपराधिक मामले मे “परिवाद, कहते है एवं सिविल मामले में हम वाद पत्र कह सकते हैं। अब सवाल यह है की क्या कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के समक्ष मौखिक अथवा तार, डाक द्वारा भी परिवाद दायर कर सकता है? जानिए :-

भारतीय सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 2(1)(ज) की परिभाषा 

मजिस्ट्रेट के समक्ष किसी संज्ञेय या असंज्ञेय अपराध का मौखिक या लिखित कथन जो किसी व्यक्ति को ज्ञात हो या अज्ञात अपराध किया हुआ परिवाद होगा लेकिन किसी संज्ञेय अपराध में पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर परिवाद नहीं होगी, लेकिन किसी असंज्ञेय अपराध में पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज एनसीआर (NCR) परिवाद माना जाएगा।

गणेश बनाम शरणप्पा मामले मे सुप्रीम कोर्ट यह कहा गया कि परिवाद से अभिप्राय है मजिस्ट्रेट से किए गए लिखित या मौखिक कथन द्वारा दोषारोपण है एवं अधिकारिता वाले मजिस्ट्रेट को परिवाद डाक या तार द्वारा भी भेजा जा सकता है।  लेखक✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 

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