एमपी के किसानों पर अमेरिका के कीट का खतरा: इस जिले में मचा रहा भारी तबाही, मक्के की फसल कर रहा बर्बाद


अखिलेश बिल्लौरे, हरदा. मध्य प्रदेश के कई जिलों में मक्के की खेती के प्रति किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. हरदा जिले में भी किसानों ने खरीफ सीजन में किसानों ने सोयाबीन (पीला सोना) और मक्का बोया है. लेकिन इस बार ज्यादातर किसानों का झुकाव मक्का की खेती की ओर है. लेकिन किसानों को काली इल्ली (ब्लैक इल्ली) का डर सता रहा है. यह प्रकोप ज्यादातर मक्का की खेती करने वालों किसानों के लिए चिंता का विषय है.

दरअसल, मक्का की फसल इल्लियों के लिए मीठी फसल होती है, क्योंकि उसमें शर्करा पाया जाता है, जिसके कारण इल्ली मक्का की फसल को जड़ से साफ कर देती है. पूरे जिले मे सोयबीन का रकबा 1 लाख 12 हज़ार हेक्टेयर का है, जिसमें सोयाबीन बोई गई है. वहीं, मक्का का रकबा 48 हज़ार हेक्टेयर है. मक्का की फसल लगभग जिले के किसानों ने आधे रकबे में बोई है. अगर यह इल्ली का प्रकोप बढ़ गया तो यह किसानों को बहुत नुकसान उठाना पढ़ सकता है.

वैज्ञानिकों से जांच कराएंगे

DDA कृषि जवाहरलाल कास्दे ने कहा कि विभाग का क्षेत्रीय अमला और वैज्ञानिकों द्वारा मौके पर जांच कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा लगातार कैंपेन चलाकर किसानों को जागरुक किया.

जवाहरलाल कास्दे (DDA) कृषि, हरदा

सरकार कराए मक्का की फसल का बीमा

किसानों की समस्याओं को देखते हुए किसान एवं नेता मोहन विश्नोई ने भी चिंता जाहिर की है. वहीं कृषि विभाग को किसानों के खेतों का निरीक्षण करने की बात कहते हुए कहा कि मक्का की फसल इस बार पूरे जिले में किसानों के द्वारा सबसे ज्यादा बोई गई है. जिसके कारण अगर यह इल्ली का प्रकोप नहीं रुका तो सरकार को किसानों को मुआवजा देने के लिए बाध्य होना चाहिए एवं मक्का की फसल का बीमा सरकार को करवाना चाहिए. यहीं तक नहीं बल्कि किसानों की मक्का की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदना चाहिए.

मोहन बिश्नोई, किसान

क्या है ब्लैक इल्ली, जानिए इस कीट का अमेरिका से संबंध

ब्लैक इल्ली को ‘आर्मी वार्म’ भी कहा जाता है. यह कीट मक्का की फसलों में बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जो देखते ही देखते पूर फसल को बर्बाद कर सकता है. ये एक विनाशकारी कीट है, जो मक्के की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाता है. यह इल्ली मक्का के पत्तों, फल और तने को खा जाती है, जिससे फसल को भारी नुकसान होता है. ये कीट अमेरिका का मूल निवासी है, लेकिन अब दुनिया के कई हिस्सों में फैल चुका है. आर्मीवर्म का लार्वा हरे, जैतून, हल्के गुलाबी या भूरे रंग का होता है, जिसके शरीर पर चार काले धब्बे और पीठ के नीचे तीन धब्बे होते हैं. 

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