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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ईरान के नेता आयतुल्ला अली खामेनेई, अली अल सिस्तानी, जनरल मोहम्मद बाघेरी, कासिम सुलेमानी और अयातुल्ला खोमैनी के पोस्टर्स पूरे देश में वायरल हो गए। समाज का एक बार कैसा है जो काफी आक्रोशित है और पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई चाहता है। सोशल मीडिया पर देश भर के हजारों नागरिकों ने इस मामले में अपने विचार व्यक्त किए हैं, परंतु गौर करने वाली बातें की भोपाल शहर में इसको लेकर कोई हलचल नहीं है। प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को सांसद चुनने वाली भोपाल की जनता बिल्कुल शांत है। 

सबसे पहले पोस्टर लगाने वालों का पक्ष पढ़िए

इमाम शाहकार हुसैन ने कहा कि हर साल पोस्टर्स लगाए जाते हैं, लेकिन इस बार संख्या ज्यादा है। इसकी वजह है 12 दिन की जंग। उन्होंने कहा कि, आयतुल्ला खामेनेई ने खुद कहा है कि यह जीत मोहर्रम की देन है। मोहर्रम का यही संदेश है और इस बार इसे दुनिया के सामने रखना जरूरी था। शाहकार हुसैन ने कहा- यहां जो बैनर लगे हैं, वे कोई सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि एक वैचारिक प्रदर्शन हैं। 

ईरानी कल्चरल हाउस ने भारतीय नागरिकों को धन्यवाद पत्र भेजा

शाहकार हुसैन ने कहा कि इसमें भारत का बैलेंस रवैया रहा है। ईरानी कल्चरल हाउस ने एक लेटर जारी किया है। भारत की अवाम का शुक्रिया अदा किया है कि वह साथ में खड़े रहे, भारत का रवैया बिल्कुल सही था, जंग में किसी का फायदा नहीं है, नुकसान ही है, भारत ने जंग रुकवाने की कोशिश भी की। 

हमारी आस्था में विरोधाभास नहीं

ईरानी डेरे में ईरान के नेताओं के पोस्टर के साथ भारत का तिरंगा भी लगाया गया है। मोहम्मद अली कहते हैं- हम भारत के ही हैं, यहीं का नमक खाया है। अगर वक्त आया तो देश के लिए जान देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। हमने तिरंगा इसलिए लगाया ताकि लोग समझें कि हम भारतीय हैं और हमारी आस्था में विरोधाभास नहीं, समरसता है।

महात्मा गांधी का पोस्टर भी लगा है

यहां लगे बैनर्स में महात्मा गांधी का एक कथन भी प्रमुखता से छपा है, जिसमें लिखा है कि “मोहर्रम सिर्फ एक फेस्टिवल नहीं, आतंकवाद के खिलाफ एक प्रोटेस्ट है।” इन बैनरों के साथ काले झंडे और सबसे ऊपर भारतीय तिरंगा भी लगाया गया है। 

भोपाल की जनता शांत क्यों है?

क्योंकि भोपाल की जनता को पता है कि, यह मामला वैसा नहीं है जैसा सोशल मीडिया के बाहरी नेता समझ रहे हैं। यह मध्य प्रदेश है। यहां जब कोई चिल्लाता है कि “कौवा कान ले गया” तो पब्लिक दौड़ नहीं लगाती बल्कि सबसे पहले अपना कान चेक करती है। भोपाल एक ऐसा शहर है जहां भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के लगभग हर देश के लोग रहते हैं। यहां कुछ लोग ऐसे हैं जो पाकिस्तान (सऊदी अरब) को सपोर्ट करते हैं और कुछ लोग ईरान को। आज जो पोस्टर लगाए गए हैं, वह सऊदी अरब के सपोटर्स को दिखाने के लिए लगाए गए हैं। इसका भारत और भोपाल से कोई लेना देना नहीं है। यह स्थिति पूरी दुनिया में है। यह उनकी अपनी प्रतिस्पर्धा है और भोपाल के गद्दार नवाब दोस्त खान के समय से चली आ रही है। 

भोपाल की जनता केवल उन लोगों का विरोध करती है, जो लोग भोपाल के उस गद्दार नवाब का समर्थन करते हैं, जिसने भोपाल के राजकुमार की हत्या कर दी थी। जिसके कारण रानी कमलापति को आत्महत्या करनी पड़ी। जिसके वंशज भोपाल को पाकिस्तान में शामिल करना चाहते थे। 


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