करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खा रहा धूल, नेतागिरी के चलते नहीं हो पा रहा उद्घाटन, ठेकदार के लोगों के लिए बना आरामगाह 


कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर के रामपुर छापर स्थित करोड़ों की लागत से बना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धूल खा रहा है। नेशनल हेल्थ मिशन के तहत बनाया गया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बने 6 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। लेकिन अब तक उसका उद्घाटन नहीं हो पाया है। यही वजह है कि जो स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के काम आना था वह धूल खा रहा है। दरअसल नेशनल हेल्थ मिशन के तहत जबलपुर में रामपुर छापर, पाटन समेत कई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण कार्य कराया गया है। दूसरी जगहों के स्वास्थ्य केंद्र तो शुरू हो चुके है जहां आम नागरिकों को इलाज भी मिलने लगा हैं। लेकिन रामपुर छापर स्थित 100 बिस्तर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेजान हालात पर पड़ा हुआ है। 

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अपने उद्घाटन करने वाले नेता का रास्ता देख रही बिल्डिंग 

वीरान पड़े स्वास्थ्य केंद्र में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी आम जनों को किसी भी प्रकार का कोई लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है, जानकारी के अनुसार 4 वर्ष पहले इस स्वास्थ्य केंद्र का कार्य शुरू हुआ था। जिसका निर्माण ठेकेदार द्वारा 6 माह पूर्व  ही कर दिया गया है और बिल्डिंग वर्क पूर्ण हो चुका है। अब करोड़ों की यह बिल्डिंग अपने उद्घाटन करने वाले नेता का रास्ता देख रही है। वहीं क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि, बिल्डिंग का काम लगभग 6 महीने पहले पूरा हो चुका है, जिसमें अब ताला लगा रहता है और ठेकेदार के ही दो-चार आदमी रहते हैं। आम जनता को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। 

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क्या कहना है लोगों का ?

क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि अगर शीघ्र ही हॉस्पिटल चालू कर दिया जाए तो क्षेत्र की लगभग 1 लाख जनता इसका लाभ उठा सकेगी जो अभी केवल संजीवनी क्लीनिक पर ही निर्भर है। आस पास के लगभग 1 लाख लोग गंभीर बीमारियों के लिए मेडिकल या जिला चिकित्सालय जाना पड़ता है। अगर 100 बिस्तरों का यह अस्पताल शीघ्र शुरू हो जाता है तो यहां की जनता को इलाज के लिए दर-दर नहीं भटकना नहीं पड़ेगा। वहीं इस मामले में जिम्मेदारों का कहना है कि, ठेकेदार द्वारा पूरा कार्य कर लिया गया है, प्रशासनिक स्वीकृतियां भी लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। जल्द ही अस्पताल शुरू कर दिया जाएगा। पर सवाल यह उठता है कि 100 बिस्तरों वाले बहु प्रतीक्षित अस्पताल राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी या फिर खींच तान की भेंट तो नहीं चढ़ रहा है।

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