MP-GK-HINDI: डोंगला वेधशाला में शंकु यंत्र क्या है – What is Sundial in Dongla Observatory


क्षितिज वृत्त के धरातल पर निर्मित इस चबूतरे के मध्य में एक शंकु लगा हुआ है, जिसकी छाया से सूर्य का वेग लिया जाता है। इस गोल चबूतरे पर तीन रेखाएँ खींची  हैं, जो सूर्य के उत्तरायण व दक्षिणायण की विभिन्न स्थितियों को दर्शाती हैं। सूर्य उत्तरायण के अन्तिम बिन्दु (राजून) पर जब होता है तब डोंगला में विशेष खगोलीय घटना होती है। दोपहर में 12:28 बजे शंकु की छाया लुप्त हो जाती है।

इस घटना में यह सिद्ध होता है कि सूर्य की उत्तर परम क्रान्ति (23-26′) व डोंगला के अक्षांश समान हैं। इस दिन (राजून) दिनमान सबसे बड़ा होता है। तत्पश्चात् सूर्य दक्षिणायण की ओर गमन करने लगता है व दिनमान क्रमशः छोटा होने लगता है। इसी क्रम में जब सूर्य वृत्त (23 सेप्टेम्बर) पर होता है तो दिन-रात बराबर हो जाते हैं। दक्षिणायण के अन्तिम बिन्दु (मकर रेखा) पर सूर्य आ जाने की स्थिति में इस मन्त्र पर स्थापित शंकु की छाया सबसे लम्बी दिखाई देती है और दिनमान सबसे छोटा (22 दिसम्बर) होता है। पुनः अगले दिन से उत्तरायण आरम्भ होकर क्रमशः दिनमान तिल-तिल मात्रा में बड़ा होने लगता है। उत्तरायण के मध्य बिन्दु (२२ मार्च) पर सूर्य विषुवद् वृत्त पर होकर पुनः दिन-रात बराबर हो जाते हैं और यही समय मेष संक्रान्ति भारतीय नव वर्ष प्रारम्भ का समय है।
इस यन्त्र से हम सूर्य के सायन भोगांश व क्रान्ति ज्ञात कर सकते हैं। पलभा द्वारा तत् स्थानीय अक्षांश ज्ञात किये जा सकते हैं व दिशाज्ञान भी हमें इस मन्त्र के माध्यम से ठीक-ठीक ज्ञात हो जाता है। सूर्य का उत्तरायण व दक्षिणायण गमन पृथ्वी के अक्षीय झुकाव का परिणाम है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *