Madhya Pradesh प्रमोशन नियम 2025 का विरोध, सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक कर्मचारी संस्था


सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर के एस तोमर और सचिव राजीव खरे द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में लिखा है कि, समाचार माध्यमों से ज्ञात हुआ है कि मप्र शासन की मंत्री परिषद की कैबिनेट बैठक दिनांक 17.06.25 में शासकीय सेवाओं में “पदोन्नति में आरक्षण” संबंधी नए नियम लागू करने हेतु तैयार ड्राफ्ट नियमों पर सहमति दे दी गई है। कैबिनेट संबंधी प्रेस ब्रीफिंग से परिलक्षित होता है कि सरकार द्वारा पदोन्नति नियम 2002 के कतिपय प्रावधानों को संशोधित किया है। लेकिन अभी भी क्रीमीलेयर को आरक्षण से बाहर करने के कोई प्रावधान संभवत: इन नियमों में नहीं हैं। उक्त नियम से भविष्य में पदोन्नति संबंधी विसंगतियां दूर होने की संभावना है किंतु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार पदोन्नतियां 2016 से न कर इन नियमों को जारी होने की तारीख से लागू करेगी। 

सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक संस्था इन नियमों का विरोध करती है। ऐसे नियम वर्तमान से लागू कर सरकार पुनः इन वर्गों के साथ अन्याय कर रही है। उल्लेखनीय है कि असंवैधानिक नियम 2002 पर सरकार की सर्वोच्च न्यायालय में की गई अपील पर यथास्थिति के आदेश हैं। किंतु यह आदेश अनु जाति/ जनजाति वर्ग के शासकीय कर्मियों पर ही लागू होते हैं, जो असंवैधानिक नियमों के अंतर्गत पदोन्नत किए गए थे। सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मियों की पदोन्नति पर कभी भी रोक नहीं थी, किंतु सरकार ने अनारक्षित वर्ग की पदोन्नतियां विगत 9 वर्षों से रोककर अन्याय जारी रखा।
एक तरफ सरकार सरकार सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति के अंतरिम आदेश की आड़ लेकर अनु जाति/ जनजाति के गलत नियमों से पदोन्नत कर्मियों को पदावनत नहीं कर रही है, दूसरी ओर अनारक्षित वर्ग की पदोन्नतियां बिना कारण रोकी गईं हैं। अब सरकार नए नियमों के तहत पुनः उन्हें पदोन्नत करने का रास्ता लेकर आई है, जिन्हें वास्तव में पदावनत किया जाना था। 
सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग को इन नियमों से कोई तात्कालिक लाभ नहीं है। अगर सरकार की मंशा वास्तव में न्याय और अपनी भूलसुधार की है, तो सर्वप्रथम सरकार सर्वोच्च न्यायालय से अपनी अपील वापिस ले और उच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करे। 
संस्था, उक्त कार्यवाही के पश्चात ही किसी प्रकार के नए नियमों से सहमत होगी। वर्तमान स्थिति में संस्था ऐसे किसी भी प्रकार के नियमों का तब तक विरोध करेगी जब तक कि सरकार न्यायालयीन आदेशों के अनुसार कार्यवाही नहीं करती और अब संस्था द्वारा पुनः प्रदेशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।



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