नगर नहीं ‘नरक निगम’! जानवरों को इंजेक्शन लगाने वाले को बना दिया अधिकारी, पद मिलते ही शुरू हुआ भ्रष्टाचार का खेल, अब आंख मूंद कर दे रहे परमिशन
शिखिल ब्यौहार, भोपाल। Bhopal Municipal Corporation: मध्य प्रदेश के भोपाल नगर निगम को अगर ‘नरक निगम’ कहा जाए तो हैरानी नहीं होगी। यहां भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि करीबियों को मनमाने तरीके से पद ऐसे दे दिया जा रहा है जैसे कोई सरकारी राशन। हद तो तब हो गई जब जानवरों को इंजेक्शन लगाने वालों को बिल्डिंग परमिशन शाखा में बाबू बना दिया गया है जो अब बेधड़क और बेपरवाह होकर फाइलों में साइन कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अफसर बनकर इनकी भूख और बढ़ गई है और अब ये मोटी मलाई चट करने के लिए नियमों को ताक पर रखकर परमिशन दिए जा रहे हैं।
राजनीतिक रसूख तो नहीं चलता नियम-कानून !
वैसे तो नगर निगम में पद और कार्यभार के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग (संचालनालय) की क्रमिक संरचना है, रोस्टर और नियम भी हैं। लेकिन, भोपाल नगर निगम में नियम-प्रावधान का बस नहीं चलता। लिहाजा नियम-कानून-प्रावधान जैसे शब्द यहां उन पर लागू होते हैं जिनकी राजनीतिक या प्रशासनिक पकड़ नहीं होती। अब आप अंदाजा लगाइए कि आपके क्षेत्र में सहायक स्वास्थ्य अधिकारी (सेनेटरी इंस्पेक्टर) जैसे जिम्मेदार पद लिपिक या बिल्डिंग परमिशन शाखा में कॉलोनी सेल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए पशुओं को इंजेक्शन लगाने वाले वैक्सीनेटर को काम दिया जाए तो क्या होगा। शायद इसलिए भोपाल नगर निगम को उपहास के तौर पर “नरक निगम” के नाम से भी पुकारा जाता है।

ऐसी कोई शाखा नहीं जहां धांधली नहीं
वैसे तो भोपाल नगर निगम में शायद ही ऐसी कोई शाखा होगी जहां धांधली के मामले न हों। धांधली सिर्फ आर्थिक तौर पर नहीं बल्कि प्रशासनिक तौर पर भी परंपरागत चली आ रही है। अब भवन अनुज्ञा को ही देख लीजिए। यहां योगेश शाक्य वैक्सीनेटर (मूल पद) को कॉलोनी सेल के सभी जोन के लिपिक संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई। शहर सरकार के गलियारों में यह चर्चा है कि योगेश शाक्य महापौर मालती राय और उनके परिवार के करीबी हैं। ऐसे में भारी आर्थिक अनियमितताओं की भवन अनुज्ञा शाखा के सबसे महत्वपूर्ण कॉलोनी शाखा में भोपाल के सभी जोनों के कार्य के लिए उन्हें उपकृत किया गया। यह वही शाखा है जिसके मुखिया मतलब सिटी प्लानर अनूप गोयल पर हाल ही में आरोप लगा कि कोलार स्थित कृतिका मैरिज गार्डन को नियमों को ताक पर रखकर परमीशन दी गई। जबकि मैरिज गार्डन बेशकीमती जमीन से निकली हाइटेंशन लाइन के नीचे बना हुआ है।
बिल्डिंग परमिशन शाखा की नियमों की बदहाली
इस शाखा में मामला सिर्फ वैक्सीनेटर योगेश का अकेला नहीं है। शाखा में साबिर अली के कार्यभार को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। नगर निगम भोपाल में साबीर खान विनियमित कर्मचारी हैं। जो नियम विरुद्ध बिल्डिंग परमिशन शाखा में जमे हुए हैं। इसके अलावा यहां की सूची लंबी है। इसमें कपेन्द्र सिंह, सुनील जैन, राकेश लहरिया, सरिता कदम, महेश सिरोहिया, अंकित शाक्या, अमित दुबे, श्रीप्रदा दीक्षित के कार्यभार को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। शिकायतों की भी लंबी चौड़ी सूची है।

निगम की स्वास्थ्य शाखा भी बीमारी का शिकार
नगर निगम की स्वास्थ्य शाखा में भी भारी अनियमितता हैं। इस महत्वपूर्ण शाखा के कंधे पर शहर की साफ-सफाई से लेकर स्वच्छ भारत मिशन के करोड़ों के काम का बोझ है। इस शाखा में माननीयों के रसूख से कई अधिकारी नियम विरुद्ध जमे हुए हैं। कोई लिपिक है तो कोई दैनिक वेतन भोगी और सेनेटरी इंस्पेक्टर के पद के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी पर नियम विरुद्ध जमे हुए हैं। इसमें रविकांत, मोहम्मद साहब, आसिफ, रविंद्र यादव, बलवीर मलिक, दिनेश पाल, जेपी तोमर, वीरेंद्र गुप्ता, मधुसूदन तिवारी समेत अन्य नाम हैं। कोई विधायक का खास, कोई मंत्री का खास तो कोई किसी नेता का करीबी है।
वैक्सीनेटर के ऊपर मेहरबान निगम कमिश्नर
बताया जाता है कि योगेश शाक्य वैक्सीनेटर के ऊपर नगर निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण काफी मेहरबान हैं। योगेश को उन्होंने ही कॉलोनी सेल के सभी जोन का बाबू बनाया है। वहीं सिटी प्लानर अनूप गोयल ने अवैध तरीके से कोलार के जिस कृतिका मैरिज गार्डन को संचालन की परमीशन दी है, उसके ऊपर से हाइटेंशन लाइन निकली है। नियम की मानें तो हाइटेंशन लाइन के नीचे मैरिज गार्डन को परमिशन नहीं दी जा सकती। लेकिन फिर भी सिटी प्लानर अनूप गोयल ने कृतिका मैरिज गार्डन को इसके संचालन करने की मंजूरी दे दी है।
निगम अफसरों से सांठ गांठ कर लिया प्रभार
बताया जाता है कि योगेश शाक्य ने नगर निगम के अफसरों और सिटी प्लानर अनूप गोयल के साथ सांठ-गांठ करके, भवन अनुज्ञा की कॉलोनी सेल का सभी जोनों का लिपिकीय कार्य का प्रभार ले लिया है। सिटी प्लानर ने अयोग्य कर्मचारी एक वैक्सीनेटर को कॉलोनी सेल का बाबू बना दिया। उसका यहां इतना दबदबा हो गया है कि अवैध रूप से भवन अनुज्ञा शाखा में नियुक्ति की शिकायत पर भी नगर निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने कोई कार्रवाई नहीं की। वह खुद को महापौर का करीबी बताते हैं। शायद यही वजह है कि कमिश्नर भी उनके खिलाफ एक्शन लेने में डर रहे हैं।
कई लोगों की नियुक्ति पर बवाल
यह कोई पहले शख्स नहीं हैं जिनकी नियुक्ति को लेकर बवाल चल रहा है। देखा जाए तो उनके अलावा कई लोग ऐसे हैं जो जुगाड़ या राजनीतिक पकड़ के सहारे निगम में पहुंच गए और अब कोई पद लेकर जम गए हैं। विनियमित कर्मचारी साबीर खान की पदस्थापना के आदेश अतिक्रमण विभाग के हैं। फिर भी वह बिना किसी आदेश के भवन अनुज्ञा में कार्य कर रहे हैं।
भोपाल निगम ने दोहराया इंदौर का मामला
एक अन्य मामले में कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने इंजीनियर चंचलेश गिरहरे को डिप्टी कमिश्नर का प्रभार दिया है। कई बार इसकी शिकायत की गई पर उनके कान में जूं तक नहीं रेंगी। बता दें कि ऐसा मामला इंदौर नगर निगम में भी हुआ था, जहां अयोग्य व्यक्ति को भवन अनुज्ञा शाखा में पदस्थ किया गया था। जिसकी शिकायत के बाद इंदौर कमिश्नर के खिलाफ लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज किया गया।
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