Space discovery – पृथ्वी से बहुत दूर एक ग्रह पर गर्म लोहे के लावे की बारिश होने वाली है


बाल्टीमोर के स्पेस टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट (STScI) के माध्यम से खगोलशास्त्रियों की एक टीम ने पृथ्वी से 306 प्रकाश वर्ष दूर एक ग्रह पर अजीब सी स्थिति अच्छी है। इस ग्रह के चारों तरफ रेत के भयंकर बादल छाए हुए हैं। इसमें लोहे के कणों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसके कारण इस ग्रह पर गर्म लोहे की बारिश होने वाली है। वैज्ञानिकों ने इस ग्रह को YSES-1 नाम दिया है। यह ग्रह एक ऐसे तारे की परिक्रमा कर रहा है जो हमारे सूर्य से बहुत छोटा है लेकिन इस ग्रह का आकर हमारी पृथ्वी से बड़ा है। 

क्या पानी के अलावा दूसरी चीजों की भी बारिश होती है?

हाँ, बिल्कुल! पृथ्वी पर और ब्रह्मांड में कई बार पानी के अलावा भी अलग-अलग चीजों की “बारिश” (precipitation या unusual falling phenomena) देखी गई है। इसे हम “अनोखी वर्षा” (Strange Rains) या “अनौपचारिक वर्षा” कहते हैं। नीचे कुछ प्रसिद्ध उदाहरण दिए गए हैं:

1. मछलियों और मेंढकों की बारिश

भारत, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका आदि क्षेत्र में कई बार बादलों से पानी के साथ मछलियों और मेंढक भी गिरते हैं। जब तेज़ तूफ़ान या बवंडर तालाबों और झीलों से पानी को खींचता है, तो उसमें मछलियाँ, मेंढक आदि भी ऊपर बादलों में पहुंच जाते हैं। फिर वे बादलों के साथ दूर जाकर बारिश के साथ जमीन पर गिरते हैं। इसे मछलियों की बारिश कहते हैं। 

2. खून जैसी लाल बारिश – Red Rain

भारत के केरल राज्य में सन 2001 में लाल रंग के पानी की बारिश हुई थी। वैज्ञानिकों ने पाया कि बारिश में मौजूद पानी लाल रंग के सूक्ष्म शैवाल (algae) या कणों की वजह से लाल दिखता है। कभी-कभी इसे उल्कापिंड के साथ आए सूक्ष्मजीवों का असर भी बताया गया है। 

पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों पर किस प्रकार की बारिश होती है?

पृथ्वी के अलावा सौरमंडल के अन्य ग्रहों और उनके चंद्रमाओं पर भी “बारिश” होती है, लेकिन वह हमारे जैसे पानी की नहीं होती। वहाँ गैस, अम्ल, मीथेन, हीलियम, रेत, यहां तक कि हीरे जैसी चीजों की बारिश होती है। यहाँ कुछ प्रमुख उदाहरण दिए जा रहे हैं:

1. टाइटन Titan – मीथेन और एथेन की बारिश

जैसे हमारी अपनी पृथ्वी का चंद्रमा है बिल्कुल वैसे ही शनि ग्रह का भी अपना चंद्रमा है जिसे टाइटन कहते हैं। शनि ग्रह के चंद्रमा पर मीथेन (Methane) और एथेन (Ethane) की बारिश होती है। दरअसल, टाइटन का वायुमंडल बहुत ठंडा है (-179°C)। वहाँ इतनी अधिक ठंड होने के कारण मीथेन गैस तरल बन जाती है और बादलों से गिरती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि टाइटन पर वहाँ मीथेन की नदियाँ, झीलें और बादल हैं और एक “अलग ही पृथ्वी” जैसा माहौल है। 

2. बृहस्पति और शनि ग्रहों पर डायमंड की बारिश होती है 

हमारे अपने सौरमंडल में बृहस्पति (Jupiter) और शनि (Saturn) ग्रहों पर हीरे की बारिश होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बृहस्पति और शनि ग्रह के वायुमंडल में बहुत अधिक दबाव और गर्मी होती है। जब मीथेन गैस टूटती है, तो कार्बन से ग्रेफाइट बनता है और फिर वह दबाव में हीरा बन जाता है, जो नीचे गिरता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रति वर्ष टनों हीरे इन ग्रहों पर गिरते हैं। कितनी मजेदार बात है। हीरा बनने की प्रक्रिया हवा में ही पूरी हो जाती है। 

3. शुक्र ग्रह पर एसिड की बारिश होती है

अपने सौरमंडल के शुक्र ग्रह पर सल्फ्यूरिक एसिड (Sulfuric Acid) की बारिश होती है क्योंकि शुक्र के बादलों में सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदें बनती हैं। यहां भी मजेदार बात यह है कि, एसिड की बारिश होने के बावजूद शुक्र ग्रह की जमीन सूखी रहती है क्योंकि शुक्र ग्रह की सतह का तापमान 470 डिग्री सेल्सियस तक होता है। इतनी गर्मी के कारण सल्फ्यूरिक एसिड हवा में ही गायब हो जाता है। उसका वाष्पीकरण हो जाता है। वह जमीन तक पहुंच ही नहीं पाता।





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