एक भी मुन्ना भाई, मध्य प्रदेश पुलिस का सिपाही, नहीं बन पाएगा: मुख्यमंत्री की गारंटी


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने पुलिस आरक्षक भर्ती 2023 के उम्मीदवारों को विश्वास दिलाया है कि, सभी सफल अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक डाटा और आधार हिस्ट्री की सूक्ष्मता से जांच की जा रही है। सरल शब्दों में उनके मैसेज का तात्पर्य यह है कि मध्य प्रदेश में एक भी मुन्ना भाई, पुलिस का सिपाही, नहीं बन पाएगा। 

पुलिस आरक्षक भर्ती घोटाला – मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का बयान पढ़िए

पुलिस आरक्षक भर्ती -2023 की प्रक्रिया में फर्जीवाड़े एवं अनियमितता की सूचना मिलने पर मेरे द्वारा सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है। इस प्रकार के आपराधिक कृत्य, जिनमें योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होता है, मध्यप्रदेश में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस मुख्यालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए सभी सफल अभ्यर्थियों के बायोमेट्रिक डाटा और आधार हिस्ट्री की सूक्ष्मता से जांच की जा रही है। प्रथम दृष्ट्या इम्परसोनेशन पाए जाने पर अभ्यर्थियों के विरुद्ध अपराध दर्ज कर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की गई है।

निष्कर्ष: पुलिस को पहले से MPESB पर शक था

मध्य प्रदेश पुलिस ने ही व्यापम घोटाले का खुलासा किया था। मध्य प्रदेश पुलिस की SIT ने इस मामले में सबसे ज्यादा अपराधियों की गिरफ्तारी की और कोर्ट से उनको ही सजा मिल रही है। व्यापम घोटाला की जांच के दौरान पुलिस को पता चल गया था कि गड़बड़ी कहां पर है। इसलिए जब इस बार पुलिस आरक्षक भर्ती की बात शुरू हुई तो पुलिस हैडक्वाटर ने मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल के माध्यम से परीक्षा करवाने से मना कर दिया था। लंबे समय तक विवाद चला और भर्ती परीक्षा पेंडिंग बनी रही। पुलिस को परीक्षा आयोजित करवाने की अनुमति नहीं मिली और अंत में वही हुआ जिसका डर था लेकिन इस बार पुलिस पहले से सतर्क नियुक्ति से पहले, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में ही घोटाले का खुलासा कर दिया।





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