मिट्टी के बकरों की दें कुर्बानी… संस्कृति बचाओ मंच ने की मांग, कहा- होली-दिवाली इको फ्रेंडली हो सकती है तो बकरों की कुर्बानी क्यों नहीं ?


शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश में 7 जून को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा। इस्लामिक कैलंडर के आखिरी माह जिलहिज्जा का पहला दिन गुरुवार यानी 29 मई से शुरू हो गया है। 7 जून की सुबह बकरीद की नमाज अदा की जाएगी। इससे पहले संस्कृति बचाओ मंच ने इको फ्रेंडली बकरा ईद मनाने की मांग की है। अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने मुस्लिम धर्म गुरुओं से मांग की है कि इस बकरा ईद पर खून खच्चर ना करते हुए मिट्टी के इको फ्रेंडली बकरों की कुर्बानी दी जाए।

संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि जब इको फ्रेंडली होली हो सकती है, इको फ्रेंडली दीपावली हो सकती है, इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा का निर्माण हो सकता है तो क्या मिट्टी के बकरों की कुर्बानी नहीं दी जा सकती। अगर इको फ्रेंडली बकरों की कुर्बानी दी जाएगी तो लाखों गैलन खून बाहने के लिए पानी की बर्बादी नहीं होगी, प्रदूषण नहीं होगा और कई जीव की हत्या बचेगी।

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उन्होंने आगे कहा कि पशु क्रूरता अधिनियम के तहत क्या पशु में बकरा नहीं आते जब कोई अन्य जानवर के खिलाफ किसी भी प्रकार का अगर कृत किया जाता है तो अपराधिक प्रकरण दर्ज कर लिया जाता है, किंतु सिर्फ मुस्लिम समाज को हत्या करने की छूट क्यों प्रदान की जाती है ?

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चंद्रशेखर ने पूछा कि क्या आप अपने बच्चों को हत्या करना ही सीखाना चाहते हैं। एक महीने तक बच्चों के द्वारा बकरे को काजू किशमिश बादाम सब खिलाते हैं और ईद के दिन उसी से उसकी हत्या करवाते हैं। इससे उसके मन में हत्या करने की मंशा जागृत होती है, इसलिए धर्मगुरु नई पहल करें और इको फ्रेंडली बकरों की कुर्बानी दें।

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