हाई कोर्ट ने संभागीय कमिश्नर के फैसले को किया रद्द: भाजपा महिला पार्षद की पार्षदी फिर से बहाल करने आदेश, इस वजह से चुनाव किया गया था शून्य 


कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर से भाजपा की महिला पार्षद कविता रैकवार के पार्षदी शून्य करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। हाईकोर्ट ने डिविजनल कमिश्नर के आदेश को रद्द करते हुए कविता रैकवार की पार्षदी पुनः बहाल करने के आदेश दिए हैं। दरअसल 29 अप्रैल को संभागीय कमिश्नर अभय वर्मा ने भाजपा की महिला पार्षद कविता रैकवार की पार्षदी सिर्फ इस आधार पर रद्द कर दी थी कि उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी है। आपको बता दें कि संभागीय कमिश्नर ने यह आदेश भोपाल की उच्च स्तरीय जांच कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर सुनाया था।

एक दिन पहले ही उच्च स्तरीय आदेश को हाई कोर्ट कर चुका था खारिज 

29 अप्रैल को संभागीय कमिश्नर के आदेश के पहले यानी की 28 अप्रैल को हाई कोर्ट भोपाल की उच्च स्तरीय जांच को खारिज कर चुका था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस तरह से किसी के आरोप मात्र लगा देने से किसी का जाति प्रमाण पत्र फर्जी नहीं हो जाता। हाई कोर्ट ने इसमें कहा था कि आप इस मामले में पहले जांच कर ले और जांच में जो बिंदु निकले उस आधार पर आगे की कार्रवाई की जाए। लेकिन 28 तारीख को हाई कोर्ट का फैसला आया और उसके एक दिन बाद ही संभागीय कमिश्नर ने भोपाल की उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कविता रैकवार की पार्षदी रद्द कर दी। जिसके बाद कविता रैकवार ने मामले को दोबारा हाईकोर्ट में चुनौती दी।  

READ MORE: विदिशा में माइक्रो मैनेजमेंट वर्सेस पदयात्राः कांग्रेस के पायलट प्रोजेक्ट के जवाब में केंद्रीय मंत्री शिवराज 25 मई से पदयात्रा पर निकलेंगे

हाईकोर्ट ने एक बार फिर से मामले की सुनवाई करते हुए कहा की जब पिछले आदेश में ही यह बात क्लियर हो चुकी थी, कि किसी के आरोप मात्र के आधार आप किसी का जाति प्रमाण पत्र रद्द नहीं किया जा सकता। फिर दोबारा क्यों इस मामले की जांच नहीं कराई गई और कैसे महिला की पार्षदी रद्द कर दी गई। हाई कोर्ट ने दोबारा महिला की पार्षदी बहाल करने के निर्देश दिए।

हाई कोर्ट में इस मामले में की टिप्पणी 

हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच कमेटी का ये दायित्व बनता है कि वो जिस पर आरोप लगाए गए है उससे सुबूत न मांगते हुए आरोप लगाने वाले से सबूत मांगे जाने चाहिए। लेकिन यहां उल्टी गंगा बह रह रही है। कोर्ट ने कहा कि महिला पार्षद ने सक्षम अधिकारी के समक्ष ही दस्तावेज जमा करवाकर कास्ट सर्टिफिकेट बनवाया होगा। जब महिला ने दस्तावेज जमा किए होंगे तो सक्षम अधिकारी द्वारा उसकी जांच करके ही यह सर्टिफिकेट जारी हुआ होगा। फिर ऐसे में कैसे उस सक्षम अधिकारी की कलम को बिना जांच के ही खारिज किया जा सकता है।

क्या है पूरा मामला 

दरअसल 29 अप्रैल को संभागीय कमिश्नर अभय वर्मा ने जबलपुर से भाजपा से महिला पार्षद कविता रैकवार की पार्षदी सिर्फ इसलिए शून्य कर दी थी क्योंकि महिला पर फर्जी तरीके से जाति प्रमाण पत्र बनाने का आरोप लगा था। जबलपुर के वार्ड क्रमांक 24 हनुमानताल वार्ड  पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) महिला के लिए आरक्षित था, जहां से साल 2022 के नगर निगम चुनाव में बीजेपी की कविता रैकवार चुनाव जीती थी। चुनाव जीतने के बाद किसी ने कविता रैकवार के जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत कर दी थी। 

शिकायत में कहा गया था कि कविता रैकवार सामान्य वर्ग से आती है, लेकिन उसने ओबीसी का फर्जी सर्टिफिकेट बना चुनाव लड़ा था। शिकायत पर भोपाल की उच्च स्तरीय कमेटी ने जांच कर महिला से उसके ओबीसी होने की सबूत मांगे और उसके बाद उसके सर्टिफिकेट को ही फर्जी बता दिया। इसी आधार पर संभागीय कमिश्नर ने महिला की पार्षदी को शून्य कर दिया। दरअसल कविता रैकवार महाराष्ट्र की रहने वाली है और उनकी शादी जबलपुर में हुई थी जो कि ओबीसी वर्ग से आते हैं। लेकिन शिकायतकर्ता कहना है की कविता रैकवार के पति ओबीसी से है लेकिन कविता रैकवार सामान्य वर्ग से आती है।

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *