आदेश का बना मजाक! सहायक आयुक्त के ऑर्डर को नजरअंदाज कर रहे BEO, ये है पूरा मामला


अजयारविंद नामदेव, शहडोल. जनजातीय कार्य विभाग के अधीन छात्रावासों में सालों से जमे अधीक्षकों के फेरबदल को लेकर सहायक आयुक्त ने सख्त निर्देश जारी किए हैं. लेकिन हकीकत ये है कि उनके आदेशों को जिले के विकासखंड शिक्षा अधिकारियों ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है. शासन के स्पष्ट निर्देश और तय समयसीमा के बावजूद अधिकांश बीईओ (विकासखंड शिक्षा अधिकारी) आज तक प्रस्ताव तक नहीं भेज पाए हैं.

दरअसल, सहायक आयुक्त आनंद राय सिंहा ने आदेश दिया था कि तीन साल या उससे अधिक समय से छात्रावासों में पदस्थ अधीक्षकों, संविदा शिक्षकों और अन्य शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए प्रस्ताव दो दिन के भीतर भेजे जाएं. लेकिन आज जब अंतिम समय सिर पर है, तब भी अधिकांश बीईओ मौन हैं. जैसे आदेश की कोई अहमियत ही न हो, यह स्थिति सीधे तौर पर यह बताती है कि जिले में जनजातीय कार्य विभाग की पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है. शिक्षा अधिकारियों को न तो उच्च अधिकारियों की चिंता है और न ही विभागीय नियमों की.

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सहायक आयुक्त का कहना है कि संभव है कुछ प्रस्ताव ऑनलाइन आए हो. मैंने अभी देखा नहीं है. यह बयान भी अपने आप में विभागीय लापरवाही और समन्वय की कमी को उजागर करता है. प्रशासनिक सिस्टम में यदि वरिष्ठ अधिकारी के आदेश को ही महत्व न मिले, तो नीचे के अमले में जवाबदेही की क्या उम्मीद की जा सकती है? शायद यही वजह है कि सालों से छात्रावासों में जमे अधिकारी बदलाव से बेफिक्र हैं और जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं.

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अब देखना यह है कि क्या विभागीय आदेशों की अवहेलना करने वाले शिक्षा अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती है या यह आदेश भी सरकारी फाइलों की भीड़ में दम तोड़ देगा? फिलहाल तो जिले में जनजातीय विभाग के आदेशों की सरेआम अनदेखी हो रही है और जवाबदेही नदारद हैं.

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