इंदौर पुलिस की ‘नई उम्मीद’ पहल: नशे की गिरफ्त में आए नाबालिगों को दोस्ती और समझाइश से बाहर निकालने की होगी कोशिश


हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश की इंदौर पुलिस अब नशे के खिलाफ सिर्फ सख्ती नहीं, बल्कि संवेदनशीलता के साथ भी काम कर रही है। खासतौर पर जोन-3 क्षेत्र में लगातार सामने आ रहे नाबालिगों के नशे की गिरफ्त में आने के मामलों को देखते हुए एडीशनल डीसीपी राम स्नेही ने एक नई और अनोखी पहल की है, जिसे नाम दिया गया है – “नई उम्मीद”।

नशे की लत की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश

इस पहल के तहत पुलिस सबसे पहले यह पता लगा रही है कि आखिर नाबालिग बच्चों में नशे की लत लगने की असली वजहें क्या हैं। जांच के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। कुछ मामलों में बच्चों के माता-पिता ही शराब या अन्य नशे का सेवन करते हैं। जब बच्चे अपने घर में ये सब देखते हैं, तो वही उनके लिए सामान्य बन जाता है और वे खुद भी धीरे-धीरे उसी राह पर चल पड़ते हैं। कई मामलों में घरेलू कलह और माता-पिता के बीच विवाद भी बच्चों को मानसिक रूप से कमजोर करता है, और वे बाहर सहारा ढूंढते हैं। नतीजा – नशा करने वाले दोस्तों की संगत और फिर खुद की लत।

लड़कियों पर भी असर

कुछ लड़कियों के मामले में पुलिस को जानकारी मिली है कि जब परिवार में उन्हें सही माहौल नहीं मिला, या उन्हें नजरअंदाज किया गया, तो वे बाहर ऐसे ग्रुप्स में शामिल हो गईं जहां पहले से नशा करने वाले युवक थे। धीरे-धीरे वे भी उसी लत का हिस्सा बन गईं।

‘नई उम्मीद’ की रणनीति – सख्ती नहीं, दोस्ती

राम स्नेही ने इस अभियान की रूपरेखा इस तरह तैयार की है कि बच्चों को सजा या डर नहीं, बल्कि समझाइश, समर्थन और दोस्ती के ज़रिए नशे की आदत से बाहर लाया जाए। इसके लिए क्षेत्र के बीट अधिकारियों को खास निर्देश दिए गए हैं। बीट अधिकारी अब इन बच्चों के संपर्क में रहते हैं, उनसे दोस्ताना व्यवहार करते हैं और मौका मिलने पर प्यार से पूछते हैं कि क्या उन्होंने नशा किया है। धीरे-धीरे ये अफसर उन बच्चों के लिए पुलिस नहीं, बल्कि एक ‘मित्र’ बन रहे हैं। इसी मित्रता के जरिए नशे की लत छुड़ाने की कोशिश हो रही है।

थानों में बुलाकर माता-पिता को दी जा रही समझाइश

नशे की लत से जूझ रहे बच्चों के माता-पिता को थाने बुलाकर समझाया जा रहा है कि वे अपने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें, और कैसे उन्हें सही रास्ते पर लाएं। साथ ही, कुछ जरूरतमंद मामलों में पुलिस कम्युनिटी काउंसलिंग और अन्य सहायता भी उपलब्ध करा रही है।

आठ थानों में 131 नशे के आदी चिह्नित

अभी तक जोन-3 के आठ थानों में ऐसे 131 लोगों की पहचान की जा चुकी है जो नशे के आदी हैं। इनमें से 18 लड़कियां भी शामिल हैं। हालांकि यह संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन पुलिस का मानना है कि यदि वक्त रहते हस्तक्षेप किया जाए, तो इसे रोका जा सकता है।

नशे की लत को छोड़ो, जिंदगी से नाता जोड़ो

एडीशनल डीसीपी राम स्नेही की इस मुहिम का नाम “नई उम्मीद” रखा गया है और इसका स्लोगन भी बेहद भावुक और प्रेरणादायक है –”नशे की लत को छोड़ो, जिंदगी से नाता जोड़ो”।राम स्नेही का मानना है कि बच्चों को डांट-डपट से नहीं, प्यार और दोस्ती से बदला जा सकता है। इसीलिए यह मुहिम सख्ती नहीं, समझाइश के जरिए चल रही है – ताकि जो बच्चे अभी सिर्फ भटके हैं, उन्हें फिर से सही रास्ते पर लाया जा सके।

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