ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति का मामला: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सभी कर्मचारी-अधिकारियों को मूल विभाग में भेजने के दिए निर्देश 


कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश की ग्वालियर हाई कोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति से जुड़ी याचिका पर अहम सुनवाई के बाद बड़ा आदेश जारी किया है। हाई कोर्ट ने आईएएस निगम आयुक्त संघ प्रिय की पदस्थापना को भी नगर निगम एक्ट के तहत गलत बताया है। हाई कोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम में कार्यरत सभी 60 प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे कर्मचारियों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से मूल विभाग में वापस भेजने के निर्देश दिए।

डॉ अनुराधा गुप्ता के द्वारा दायर की गई थी जनहित याचिका 

दरअसल ग्वालियर हाई कोर्ट में डॉ अनुराधा गुप्ता के द्वारा एक जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें पशु चिकित्सक डॉ अनुज शर्मा की नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी पड़ पर प्रतिनियुक्ति को नियमो के विपरीत बताया था। ऐसे में नगर निगम के सभी 61 प्रतिनियुक्ति पदों को इस याचिका के जरिए चैलेंज किया गया था। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका से जुड़ा बड़ा आदेश जारी किया है। हाई कोर्ट ने नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे सभी 60 कर्मचारी अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया है। साथ ही सभी को उनके मूल विभाग में भेजने का आदेश दिया है। 

 IAS संघ प्रिय की पदस्थापना आदेश को भी ठहराया गलत

इसके अलावा हाईकोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम में निगम आयुक्त पद पर शासन द्वारा IAS संघ प्रिय की पदस्थापना आदेश को भी गलत ठहराया है। हाई कोर्ट का कहना है कि निगम आयुक्त की पदस्थापना नगर निगम की धारा 54 के तहत जारी आदेश के जरिए की जाती है, ऐसे में शासन 15 दिन के भीतर नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय का धारा 54 के तहत नया आदेश जारी करें तब तक उनकी पदस्थापना भी मान्य नहीं होगी। 

8 महीने के भीतर भर्ती करने के दिए निर्देश 

ग्वालियर हाई कोर्ट द्वारा जारी किए गए इस आदेश के दायरे में चारो एडिशनल कमिश्नर, सहायक आयुक्त,उपायुक्त भी आ गये है।आदेश के जरिए नगर निगम की कार्य व्यवस्था प्रभावित होगी। ऐसे में हाई कोर्ट ने निगमायुक्त को निर्देश दिया है कि वह अपने विवेकाधिकार के जरिए तृतीय श्रेणी के प्रतिनियुक्ति पदों में से कुछ जरूरी अधिकारियों को सीधी भर्ती होने तक उन्हें रोक सकते है। जिनके नाम पद सहित अन्य जानकारी हाई कोर्ट में देनी होगी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट तौर यह आदेश भी दिया है कि 8 महीने के भीतर सीधी भर्ती के जरिए सभी पदों को भी भरना होगा।

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