राजधानी की सड़कों से 11 हजार ई-रिक्शा हटाने की तैयारी: बिना परमिट के भर रहे फर्राटा, कॉलोनियों से निकलकर चौराहों पर लगा रहे जाम


राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बेतरतीब यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए सालों से कई प्रयोग जारी हैं, लेकिन कोई न कोई अडंगा आड़े आ ही जाता है। कॉलोनियों से मुख्य सड़कों के बीच यातायात सुगम बनाने के लिए संचालित किए गए ई-रिक्शा ही मुख्य सड़कों के लिए परेशानी का कारण बन बैठे हैं। बिना परमिट सरेआम दौड़ रहे करीब 11 हजार ई-रिक्शा को अब शहर की प्रमुख सड़क से हटाने का प्लान तैयार किया जा रहा है।

भोपाल की सड़कों पर इन दिनों 11 हजार से अधिक ई-रिक्शा बिना परमिट दौड़ रहे हैं। इनमें से अधिकांश ई-रिक्शा पिछले तीन साल में ही सड़कों पर उतरे हैं। ई-रिक्शा संचालित कराने के पीछे प्रशासन का उददेश्य था कि कॉलोनियों से सिटी बस स्टॉप तक ठीक से कनेक्टिविटी हो सके, लेकिन ई-रिक्शा बस स्टॉप और कॉलोनियों के बजाय शहर की मुख्य सड़कों पर ही नजर आ रहे हैं। बीच सड़क और बीच चौराहों पर ई-रिक्शा घंटों तक कतार में खड़े रहने से यातायात बाधित हो रहा है।

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ट्रैफिक पुलिस के अनुसार, ई- रिक्शा के संचालन को लेकर न तो कोई स्पष्ट गाइडलाइन है और न ही परिवहन विभाग से इन्हें परमिट लेना अनिवार्य किया गया है। पुलिस उपायुक्त यातायात संजय कुमार सिंह के अनुसार ई-रिक्शा को शासन की ओर से परमिट की छूट मिली हुई है। ऐसे में इन पर सामान्य परमिट नियम लागू नहीं होते हैं। यही वजह है कि ये वाहन मनमाने तरीके से किसी भी मार्ग पर चलते हैं और कहीं भी खड़े हो जाते हैं। इससे पूरे शहर में ट्रैफिक बाधित हो रहा है।

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प्रशासन अब ई-रिक्शा पर सख्ती के मूड में है। बिना परमिट और बेतरतीब तरीके से चल रहे करीब 11 हजार ई-रिक्शा को अब शहर की प्रमुख सड़कों से हटाने की तैयारी की जा रही है। सड़क सुरक्षा समिति ने पहले चरण में वीआईपी रोड के साथ लिंक रोड नंबर एक व दो और होशंगाबाद रोड से ई-रिक्शा के संचालन पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है। ई-रिक्शा से हर दिन 12 नंबर से हमीदिया अस्पताल तक सफर करने वाली हर्षिता जैन का कहना है कि ई-रिक्शा बेहतर विकल्प है, लेकिन सड़कों पर इनकी संख्या सीमित होना चाहिए। वहीं बोर्ड ऑफिस से न्यू मार्केट जाने वाले किशोर सेन ने कहा कि ई-रिक्शा ठीक है, लेकिन सिटी बस का विकल्प नहीं है।

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