अब इंसानों की तरह मवेशियों का भी आयुर्वेदिक दवाओं से होगा इलाज, 6 महीने में हो सकता है लागू, जानिए क्या है पूरा प्लान


राजकुमार पाण्डेय, भोपाल। Ayush Medicines: गाय, भैंस, बकरी, भेड़ जैसे मवेशियों की बीमारियों का इलाज अब आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधियों से भी होगा। खासकर एलोपैथी की एंटीबायोटिक औषधियों की जगह आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक विकल्पों को आजमाया जाएगा। मध्य प्रदेश का पशु चिकित्सा विभाग इसकी तैयारी में जुट गया है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले छह महीने में शासकीय पशु चिकित्सालय आधिकारिक तौर पर इस तरह का इलाज शुरू कर देंगे।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जिलों में लागू किया जाएगा

बताया जा रहा है कि पशुपालन और डेयरी विभाग इसकी नीति तैयार करने कर रहा है। इस नीति को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जिलों में लागू किया जाएगा। परिणामों की समीक्षा के बाद इसे पूरे प्रदेश में विस्तारित करने का फैसला होगा। 

तेजी से बढ़ी है दूध और मांस उत्पादों की मांग 

पशुपालन विभाग के उपसंचालक डा. अजय रामटेके का कहना है कि वर्तमान में दूध और मांस उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है। इस बीच मवेशियों के किसी भी संक्रमण की रोकथाम के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध उपयोग भी बढ़ा है। इसका दुष्परिणाम यह हुआ है कि मवेशियों के शरीर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट बैक्टीरिया विकसित हो रहे हैं। यह बैक्टीरिया मल, मूत्र और अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से इंसानों तक पहुंचते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करते हैं।

 प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है होम्योपैथिक दवाएं

इसी साल मार्च महीने में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में देशभर के वैज्ञानिकों, पशुचिकित्सकों और विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई थी। कार्यशाला में यह निष्कर्ष निकाला गया कि एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग पशु व मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक है। इसके समाधान के रूप में आयुर्वेद और होम्योपैथी पद्धति को इलाज का मुख्य आधार बनाने की सिफारिश की गई। कार्यशाला में ही कहा गया था कि आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाएं न केवल सुरक्षित होती हैं, बल्कि उनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। ये दवाएं शरीर को अंदर से मजबूत बनाती हैं और पशुओं की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती हैं।

लागू करने में लग सकता है 6 महीने का समय 

पशुपालन विभाग के उप संचालक डॉ. अजय रामटेके ने कहा, “आयुर्वेद और होम्योपैथी आधारित इलाज की नीति पर सहमति बनी है और प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसे लागू करने में अभी छह माह का समय लग सकता है।”  

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