पॉवर गॉशिप: खतरे में 5 मंत्रियों की कुर्सी, दिल्ली की टेढ़ी निगाहें…मध्य प्रदेश मय हो गया देश…नेता प्रतिपक्ष के लिए नहीं घनघनाया गया PCC से फोन…नेताजी हार गए लेकिन लिखावट देखो


खतरे में 5 मंत्रियों की कुर्सी, दिल्ली की टेढ़ी निगाहें

मध्य प्रदेश में अगले मंत्रिमंडल विस्तार से पहले 5 मंत्रियो की कुर्सी खतरे में है। दिल्ली दरबार ने इन मंत्रियों की कार्यप्रणाली और विवाद को देखते हुए इनकी रिपोर्ट तलब की थी। इन मंत्रियों के बयानों और कारनामों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व नाराज चल रहा है। माना जा रहा है जल्द ही इन मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी की जा सकती है। खास बात यह है कि इनमें एक सबसे सीनियर मंत्री खुद आलाकमान से मंत्रिमंडल में न रहने कि गुहार लगा चुके है। मध्य प्रदेश में मंत्री बनने के बाद से ही इनका मन नहीं लग रहा था। केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के फैसले के बाद उन्हें उनकी टीम में एडजस्ट किया जाएगा।

मध्य प्रदेश मय हो गया देश

पाकिस्तान के खिलाफ हुई कड़ी कार्रवाई के बाद पूरे देश के साथ मध्य प्रदेश में जश्न का दौर जारी था। इसी बीच मंत्री विजय शाह का बयान सामने आने के बाद प्रदेश में उबाल है। प्रदेश के साथ यह मामला पूरे देश में गूंजा। इस स्थिति को लेकर राजनैतिक कार्यालयों में चर्चाओं का दौर गरम है। दो नेता आपस में चर्चा करते हुए दिखे कि देश मय मध्य प्रदेश होने जा रहा था। अब मध्य प्रदेश मय देश हो गया है।

नेता प्रतिपक्ष के लिए नहीं घनघनाया गया PCC से फोन

विजय शाह के मुद्दे पर लंबे समय बाद मध्यप्रदेश में विपक्ष एक्टिव नजर आया। पहले संगठन जमीन पर दिखा फिर नेता प्रतिपक्ष अपने विधायकों के साथ विरोध करते नजर आए, लेकिन इस विरोध में भी एमपी कांग्रेस में तेरा मेरा होता दिखा। विजय शाह के इस्तीफे की मांग को लेकर नेता प्रतिपक्ष की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कॉल की गई, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए पीसीसी से एक कॉल नहीं आया। जब प्रदेश अध्यक्ष या फिर मीडिया विभाग के अध्यक्ष किसी भी मुद्दे पर PC करते हैं तो लगातार फोन घनघनाये जाते हैं। जब तक मीडिया संस्थान से कोई नुमाइंदा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना पहुंच जाए। खबर है कि नेता प्रतिपक्ष इस खबर से खबरदार हो चुके हैं।

नेताजी हार गए लेकिन लिखावट देखो

मसला ग्वालियर-चंबल इलाके से आने वाले एक मंत्रीजी के कार्यालय का है। तबादले के लिए आए एक नेताजी के सिफारिश पत्र की भाषा पढ़कर मंत्रीजी सन्न रह गए। सामने पंक्ति में बैठे क्षेत्र के लोगों से मंत्रीजी कह बैठे कि नेताजी की भाषा तो देखिए। खुद चुनाव हार गए हैं और सिफारशी पत्र में आदेशात्मक भाषा का उपयोग कर रहे हैं। हालांकि जो महाशय पत्र लेकर आए थे, मंत्रीजी ने उनकी ओर इशारा करते हुए कहा कि आपका मामला है, देख लेते हैं।

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