पहली बार 3 साल की मासूम ने लिया संथारा: 10 मिनट बाद दुनिया को कह दिया अलविदा, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में हुआ दर्ज


चंकी बाजपेयी, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में पहली बार जैन समाज की 3 साल की मासूम बच्ची वियाना ने संथारा ग्रहण किया। धार्मिक प्रक्रिया के 10 मिनट बाद ही उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। परिजनों के इस कठिन निर्णय की वजह से माता-पिता को सम्मानित किया गया है। साथ ही इतनी कम उम्र में संथारा लेने का यह पहला मामला होने की वजह से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया है। इस घटना ने पूरे जैन समाज समेत देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।

जैन मुनि श्री के सुझाव पर परिजनों ने इस प्रक्रिया के लिए दी थी सहमति

दरअसल, जिस बच्ची ने प्राण त्याग दिए हैं वह ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी। मासूम का मुंबई में इलाज चल रहा था। बच्ची के माता-पिता उसे जैन मुनि श्री के पास लेकर गए थे। इसके बाद उन्होंने संथारा का सुझाव दिया। बच्ची के माता-पिता ने बताया कि वियाना उनकी इकलौती संतान थी। मात्र 3 वर्ष, 4 माह और 1 दिन की आयु में इस संसार से विदा हो गई। 

पिछले साल चला था ब्रेन ट्यूमर का पता

पिछले साल दिसंबर में उसके ब्रेन ट्यूमर का पता चला था। पहले इंदौर और फिर मुंबई में इलाज कराया गया, लेकिन कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। डेढ़ महीने पहले वे बच्ची को आध्यात्मिक संकल्प अभिग्रह-धारी राजेश मुनि महाराज के दर्शन कराने ले गए। वहां मुनिश्री ने बच्ची की स्थिति को गंभीर बताते हुए संथारा का सुझाव दिया। चूंकि परिवार मुनिश्री के अनुयायी हैं और मुनिश्री पूर्व में 107 संथारों का संचालन कर चुके हैं, इसलिए पूरे परिवार की सहमति से संथारा प्रक्रिया आरंभ की गई। आधे घंटे तक चली इस धार्मिक प्रक्रिया के 10 मिनट बाद ही वियाना ने प्राण त्याग दिए।

वियाना को पक्षियों को दाना डालने, गुरुदेव के दर्शन करने के दिए जा रहे थे संस्कार 

वियाना के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी जैन धर्म के सर्वोच्च व्रत संथारा को धारण करने वाली विश्व की सबसे कम उम्र की बालिका बन गई है। वे बताते हैं कि वियाना बहुत ही चंचल और प्रसन्नचित बच्ची थी। उसे प्रारंभ से ही धार्मिक संस्कार दिए जा रहे थे- जैसे गोशाला जाना, पक्षियों को दाना डालना, गुरुदेव के दर्शन करना और पचखाण करना। यही धार्मिक वातावरण और परिवार की आस्था ने इस कठिन निर्णय को संभव बनाया।

क्या है संथारा?

संथारा जैन धर्म में एक धार्मिक संकल्प है, जिसे संलेखना या समाधिमरण भी कहा जाता है। यह स्वेच्छा से अन्न-जल का त्याग करके अपनी मृत्यु को स्वीकार करने की प्रक्रिया है।

माता-पिता को किया गया सम्मानित

इस अल्पायु में संथारा लेने की वजह से वियाना का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। इसके लिए माता-पिता को सम्मानित भी किया गया।

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