SC JUDGMENT – कर्मचारी को पदोन्नति का नहीं लेकिन प्रक्रिया में पदोन्नति प्राप्त करने का अधिकार है


भारत में सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति का अधिकार नहीं है लेकिन यदि पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू होती है और कर्मचारी पदोन्नति के लिए पात्र है तब उसे पदोन्नति प्राप्त करने का अधिकार है। कर्मचारियों से जुड़े विवाद का यह महत्वपूर्ण फैसला न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने 2 मई 2025 को सुनाया।

पी. शक्‍ति बनाम तमिलनाडु सरकार व अन्य – Right to promotion for government employees

सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाले कर्मचारियों का नाम पी. शक्ति है। उसने अपनी फील्ड में बताया कि दिनांक 1 मार्च 2002 को उसकी नियुक्ति तमिलनाडु पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हुई थी। सन 2019 में 20% सब इंस्पेक्टर पदों पर विभागीय कोटे से प्रमोशन के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। वह प्रमोशन के लिए एलिजिबल था इसलिए उसने आवेदन किया परंतु 13 अप्रैल 2019 को पुलिस अधीक्षक ने उसके आवेदन को इसलिए विचार के अयोग्य घोषित कर दिया क्योंकि सन 2005 में उसके खिलाफ अनुशासनात्मक दंड की कार्रवाई हुई थी। उसकी एक वार्षिक वेतन वृद्धि को असंचयी प्रभाव से स्थगित कर दिया गया था। पुलिस विभाग के भारती एवं संचालन नियमों के अनुसार केवल उन्हीं कर्मचारियों को प्रमोशन का अधिकार है, जिनका रिकॉर्ड क्लियर हो।

सरकारी वकील की दलील

अपील करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि उसके ऊपर आरोप लगा था कि, उसने एक झगड़े के दौरान साथी पुलिस आरक्षक पर हमला किया था। इसके कारण उसके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज हुआ था और विभाग की ओर से अनुशासनात्मक दंड दिया गया था। बाद में न्यायालय ने उसे निर्दोष पाया और दोषमुक्त घोषित कर दिया। 27 नवंबर 2009 को राज्य सरकार द्वारा अनुशासनात्मक दंड भी निरस्त कर दिया गया। इस मामले के अंत में सरकारी वकील ने यह दलील देकर पुलिस डिपार्टमेंट का बचाव करने की कोशिश की, कि प्रमोशन कर्मचारी का अधिकार नहीं है। यह सरकार का अधिकार है और उसके निर्णय पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो अनुशासनात्मक दंड 2009 में निरस्त कर दिया गया है उसके आधार पर 2019 में प्रमोशन के आवेदन पर विचार नहीं किया जाना, गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्य के पुलिस डिपार्टमेंट को आदेश दिया कि वह अपने कर्मचारियों की आवेदन पत्र नियम के अनुसार निर्णय करें और यदि वह प्रमोशन के लिए एलिजिबल है तो उसे बैक डेट में 2019 से प्रमोशन दिया जाए। 

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