खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता हुई कमः मिट्टी के सैंपल जांच के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान का निष्कर्ष, पैदावार पर पड़ेगा विपरीत असर


शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में खेतों में किसानों द्वारा पराली (नरवाई) जलाने से मिट्टी की उवर्रता क्षमता तेजी से घटी है। यह खुलासा भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र में मिट्टी की हुई टेस्टिंग में हुआ है। एमपी के 52 जिलों से 8000 मिट्टी के सैंपलों की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकल है। प्रदेश के आठ जिलों में सबसे ज्यादा नरवाई जलाई गई है। इनमें नर्मदापुरम, सीहोर, विदिशा, इंदौर, उज्जैन, हरदा, रायसेन, देवास और भोपाल में सबसे ज्यादा पराली जलाई गई है।8000 में से 1700 सैंपल ऐसे जिसमें 20 से 44% भूमि की उर्वरा शक्ति घटी हैं।

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पैदावार पर पड़ेगा विपरीत असर

भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर पैदावार की भी समीक्षा की गई है। 5 साल पहले जिन खेतों में एक एकड़ में 10 क्विंटल पैदावार होती थी वह मात्र 6 क्विंटल के अंदर सीमित रह गई है। सबसे ज्यादा नर्मदापुरम जिले में पराली जलाने की 5774 घटनाएं हुई है। इसी तरह प्रदेश के सीहोर 2416, विदिशा 1445, इंदौर 1439, उज्जैन 1322, हरदा 1301, रायसेन 1186, देवास 1063, भोपाल में 338 पराली जलाने के मामले हुए हैं।

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