BHOPAL में जीआरपी हेड कांस्टेबल दौलत खान की वर्दी क्यों फाड़ी, FACT CHECK


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के बाहर बंसल वन की दुकान और रेस्टोरेंट के सामने कार में बैठे युवकों और जीआरपी के हेड कांस्टेबल के बीच में लड़ाई झगड़ा हो गया। जीआरपी की जवान बंसल वन का रेस्टोरेंट और दुकान बंद करवाने आए थे। हालांकि किसी भी पक्ष का कोई बयान नहीं आया है लेकिन फिर भी सुर्खियों के लिए मामले को ताजा तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। जबकि इसे बंसल वन से जोड़कर भी देखा जा सकता है। 

घटना का सामान्य विवरण

FIR की कॉपी एवं दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष का अधिकृत बयान सामने नहीं आया है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि, शनिवार रात करीब 2 बजे जीआरपी, बंसल वन की शॉप्स और रेस्टोरेंट्स बंद कराने पहुंची थी। इसी दौरान कुछ युवक कार में बैठकर शराब पी रहे थे। जीआरपी ने उन्हें हटने के लिए कहा तो युवक विवाद करने लगे। हाथापाई होने लगी। युवकों ने हेड कॉन्स्टेबल नजर दौलत खान को पीटना शुरू कर दिया। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने आरोपियों का वीडियो बना लिया, जो रविवार को सामने आया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि तीन युवक जीआरपी की जीप का दरवाजा खोलकर पुलिसकर्मी की पिटाई कर रहे हैं। एएसआई रामदयाल ने बताया, इस मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। मुख्य आरोपी जितेंद्र यादव को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उसके दो साथी फरार हैं। 

समाचारों के माध्यम से शांति भंग करने का प्रयास

मध्य प्रदेश की राजधानी के कुछ बड़े मीडिया संस्थाओं ने इस घटना के समाचार के माध्यम से शहर की शांति भंग करने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि बदमाशों ने हेड कांस्टेबल को इसलिए पीटा क्योंकि वह नजर दौलत खान था। उसको बचाने के लिए जीआरपी के दो और जवान आए लेकिन उन्होंने नहीं पीटा क्योंकि वह नजर दौलत खान के रिश्तेदार नहीं थे। यहां ध्यान देना जरूरी है कि, मारपीट का शिकार हुए हेड कांस्टेबल नजर दौलत खान ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। सवाल यह भी बनता है कि, यदि बचाने आए जवानों ने बदमाशों के नॉरेटिव का समर्थन किया है तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई, अब तक क्यों नहीं हुई है। 

झगड़ा करने वाले बंसल वन के आउटसोर्स भी हो सकते हैं!

जबकि इसका एक दूसरा एंगल बनता है। जीआरपी के जवान बंसल वन का रेस्टोरेंट और दुकान बंद करवाने आए थे। मध्य प्रदेश में अक्सर ऐसा होता है। अवैध कारोबार को संरक्षण देने के लिए कुछ लोग बाहर खड़े रहते हैं। हो सकता है विवाद करने वाले लोग बंसल वन आउटसोर्स हों। उन्होंने जीआरपी से विवाद इसलिए किया था कि रेस्टोरेंट और दुकान खुली रहे। 

तीसरा एंगल – विवाद की जड़ कहीं नजराना तो नहीं

इस मामले में तीसरा एंगल भी बनता है। सब जानते हैं कि, निर्धारित समय के बाद खुलने वाली दुकानों के संचालक लोकल बीट वाले को नजराना देते हैं। हो सकता है इसी नजराने को लेकर विवाद हुआ हो। वैसे भी बंसल वन कंपनी के पास अपनी पॉलीटिकल पावर है। यदि जो नॉरेटिव बनाया जा रहा है वह सच होता तो अब तक आरोपियों का जुलूस निकल गया होता। क्योंकि यह भोपाल है। संवेदनशील मामले में भोपाल की पुलिस बड़ी कठोर है।

असलियत क्या है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा और मध्य प्रदेश में तो कई बार ऐसे मामलों की जांच नहीं होती। दोनों पक्ष राजीनामा कर लेते हैं। देखते हैं इस मामले में क्या होता है। लेकिन जब तक कोई अधिकृत बयान नहीं आता तब तक कृपया इस घटना को लेकर कोई माइंडसेट मत बनाइए।

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