202: ऑनलाइन ठगी का मामला किस कोर्ट में जाएगा, पीड़ित के शहर में या अपराधी के शहर में, जानिए
ऑनलाइन ठगी, साइबर अपराध जैसे अपराध अब आम बात हो गए हैं। भारत में ऐसा कोई मोबाइल धारक नहीं है, जिसके साथ ठगी की कोशिश न की गई हो। जालसाज (ठग) किसी एक शहर में बैठकर पूरे देश में ठगी करता है। सवाल यह है कि इस तरह के अपराधों की सुनवाई किस कोर्ट में होगी। जहां पीड़ित ठगी का शिकार हुआ, वहां पर, या फिर जहां अपराधी उपस्थित रहकर ऑनलाइन ठगी को अंजाम देता है। आइए जानते हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 202 की परिभाषा
इलेक्ट्रॉनिक संचार के साधनों, पत्रों आदि द्वारा किए गए अपराध (Offences committed by means of electronic communications, letters, etc.) – कोई ऐसा अपराध, जिसमें बेईमानी, ठगी, छल आदि पत्रों या दूरसंचार (Telecommunications), सोशल नेटवर्किंग, मैसेज के माध्यम से किया गया हो, तब ऐसे मामले की जांच या सुनवाई उस कोर्ट में होगी, जहां अपराध घटित हुआ है, या उस न्यायालय में भी, जहां से आरोपी व्यक्ति द्वारा पत्र या दूरसंचार के संदेश भेजे गए हैं। वहां भी मामले की सुनवाई हो सकती है।
उदाहरणार्थ: मोहन को अपने मोबाइल पर एक संदेश प्राप्त होता है, जो कथित तौर पर बैंक की मुख्य शाखा, मुंबई से आया है। संदेश में कहा गया है कि यदि आप पांच हजार रुपये की राशि संदेश में दिए गए खाते में जमा नहीं करते, तो आपका खाता बंद कर दिया जाएगा। मोहन भोपाल में है, और उसका बैंक खाता, जहां उसने खाता खोला है, वह इंदौर में है। मोहन उस संदेश को सही मानकर पैसे जमा कर देता है। वास्तव में, वह संदेश फर्जी होता है। तब मोहन अपने मामले की सुनवाई मुंबई न्यायालय में भी करवा सकता है, और भोपाल न्यायालय में भी (जिस स्थान से उसे दूरसंचार द्वारा ठगा गया है)। लेखकबी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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