पॉवर गॉशिप: मंत्री ने मांगी अफसरों की लिस्ट और लाइन लिकर किंग के दफ्तर में लगी…मियां, तालाब की जमीन तो छोड़ो फिर वक्फ का विरोध करना…विषय बताओ फिर तय करेंगे…हॉकर्स कॉर्नर के लिए जगह तलाशी बन गई मजार…बुंदेलखंड से मिलेगा अध्यक्ष दो गुटों ने मिलाया हाथ


(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

मंत्री ने मांगी अफसरों की लिस्ट और लाइन लिकर किंग के दफ्तर में लगी

आबकारी महकमा है ही अजब-गजब. बात रेवेन्यू ही हो या स्टॉक मिलान की. सारे बिगड़े समीकरण यहां अपने आप बनते चले जाते हैं. खैर हम बात कर रहे हैं, इन दिनों महकमे में मचे हड़कंप की. दरअसल, बीते दिनों मंत्री जी ने परफार्मेंस के आधार पर अफसरों की सूची मांगी. इसमें परफार्मेंश का आधार भले ही न पता हो, लेकिन खलबली मच गई. ऐसा बताया जा रहा है 15 जिलों में कुछ अफसरों ने जमकर घोलमाल किया है. ऐसे में इन्हें बदलने की तैयारी में महकमा है. लेकिन, आश्चर्य की बात तो यह है कि अफसर मंत्रालय या मंत्री जी के घर के चक्कर नहीं बल्कि एक लिकर कंपनी के किंग के दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं. आखिर ये कौन समझाए कि भाई सरकारी महकमों में तबादले शराब ठेकेदार कंपनी से नहीं बल्कि मंत्रालय से होते हैं.

मियां, तालाब की जमीन तो छोड़ो फिर वक्फ का विरोध करना

वक्फ संशोधन बिल के विरोध में रोजाना अलग-अलग स्वर सुनाई दे रहे हैं. राजधानी में भी ऐसा ही मंजर दिखाई दे रहा है. लेकिन, मुस्लिमों में लंबा-चौड़ा वर्ग ऐसा भी है जो वक्फ का कहीं खुलकर तो कहीं दबी आवाज में समर्थन कर रहा है. लिहाजा इस कानून को लेकर दो धड़ दिखाई दे रहे हैं. अब खबर तो ऐसी भी चर्चा में है कि जो वक्फ के विरोध के मंच पर सियासतदार बोल रहे हैं. वहीं संपत्तियों के नाम पर कई कारनामें कर चुके हैं. मसला तो यह भी है कि तालाब की जमीन पर ही कब्जा करने वाले वक्फ संशोधन में उस प्रावधान को कैसे स्वीकार करेंगे. जिसमें मुस्लिम रसूखदारों की मनमानी पर लगाम लगा दी गई है. विरोध का अधिकार संविधान ने सबको दिया है. मियां…तालाब की जमीन, कब्रिस्तान के कागजों में हेराफेरी का नहीं. समझे के नहीं मियां.

विषय बताओ फिर तय करेंगे

बात बीजेपी की हो या कांग्रेस की, दोनों ही पार्टियों के कुछ प्रवक्तागण चुनिंदा विषयों पर ही रिएक्शन देने लगे हैं. रिएक्शन देने से पहले विषय समझते हैं, फिर तय करते हैं कि इस पर बोलना है या नहीं. अमूमन राजनैतिक दलों के प्रवक्ताओं की जिम्मेदारी होती है कि हर विषय पर पार्टी का पक्ष तय गाइडलाइन के साथ रखें. हालांकि कुछ प्रवक्ता ऐसे भी हैं जो विषय पूछे बगैर पार्टी की बात दमखम के साथ रखते हैं.

हॉकर्स कॉर्नर के लिए जगह तलाशी बन गई मजार

भोपाल में 7-8 साल पहले हॉकर्स कॉर्नर बनाने की मुहिम बहुत जोर से चली थी. कई वार्ड में तो हॉकर्स कॉर्नर बने भी, यह अलग बात है कि सभी शुरू नहीं हो पाए. भोपाल में एक पूर्व विधायक के निवास के आसपास हॉकर्स कॉर्नर के लिए जगह तलाशी गई. साफ सफाई हुई ही थी कि कुछ दिन बाद पता चला कि वहां बीचोंबीच मजार बन गई है. आप प्लानिंग करने वाले नेताजी सकते में हैं कि आखिर मजार हो हटाएं तो हटाएं कैसे.

बुंदेलखंड से मिलेगा अध्यक्ष दो गुटों ने मिलाया हाथ !

मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस में 6 साल बाद चुनाव का ऐलान कर दिया गया. चुनाव के ऐलान के बाद से कई नेताओं अपने समर्थकों के लिए लॉबिंग में जुट गए हैं. पर्दे के पीछे से बड़े नेता अपने समर्थक को अध्यक्ष बनाने के लिए गोटिया फिट कर रहे हैं. खबर है इस बार अध्यक्ष सवर्ण वर्ग से होगा वो भी बुंदेलखंड से. कांग्रेस के हमारे खुफिया सोर्स का तो यहां तक कहना है बुंदेलखंड के इन ठाकुर साहब नेता के लिए दो गुटों ने आपस में हाथ भी मिला लिया है.

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