दमोह मिशन अस्पताल में 7 मरीजों की मौत का मामला: कोर्ट ने एन जॉन कैम को भेजा जेल, 10 दिन की पुलिस रिमांड के बाद किया था पेश


बीडी शर्मा, दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह मिशन अस्पताल के फर्जी डॉक्टर एन जॉन कैम को कोर्ट ने जेल भेज दिया है। आरोपी डॉक्टर को 10 दिन की पुलिस रिमांड के बाद शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया गया था। डॉक्टर पर फर्जी दस्तावेज से नौकरी हासिल करने और इलाज कर सात लोगों की मौत का आरोप लगा है। वहीं एन जॉन कैम ने कहा कि मेरी डिग्रियां सही है। जो भी तथ्य है वो जल्द निकलकर सामने आएंगे। मुझे दमोह पुलिस और अदालत पर पूरा विश्वास है।

आरोपी पक्ष के अधिवक्ता सचिन नायक ने बताया कि डॉ एन जॉन कैम को आज न्यायालय में पेश किया गया था। न्यायालय द्वारा ज्यूडिशियल रिमांड पर लिया गया है। उन्होंने बताया कि मेरे क्लाइंट का यही कहना है कि उनका दस्तावेज सही है, किसी भी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं किया है। हमने कोर्ट में तर्क दिया है कि किसी भी दस्तावेजों की साक्ष्य के लिए पुलिस की उपस्थिति की जरूरत नहीं है, इन्हें ज्यूडिशियल रिमांड पर भेजा जाए, ताकि हम आगे की कार्रवाई कर सके। अब हम सेशन कोर्ट में जमानत आवेदन लगाएंगे।

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ये है पूरा मामला

दरअसल, दमोह के मिशनरी अस्पताल में डॉ. एन जॉन कैम उर्फ नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की। उसने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की, जिनमें से 7 मरीजों की मौत हो चुकी है। जिन मरीजों का ऑपरेशन किया था, उनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के समय हुई थी। जांच में पता चला कि उसकी डिग्री और अनुभव पूरी तरह से फर्जी थे।

यूपी के प्रयागराज से आरोपी गिरफ्तार

आरोपी फर्जी डॉक्टर एन जॉन कैम लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज भाग गया था। इस मामले में एमपी के सीएम डॉ मोहन यादव ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सूचना मिलते ही दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने एक टीम प्रयागराज भेजी और आरोपी को गिरफ्तार किया।

नागरपुर से बनवाए थे फर्जी दस्तावेज, पूर्व उपराष्ट्रपति के फेक हस्ताक्षर से बनाई थी डिग्री

मरीजों की जान लेने वाले डॉक्टर ने महाराष्ट्र के नागपुर से कूटरचित दस्तावेज बनवाए थे। वहीं एक डिग्री पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के भी फर्जी साइन मिले है। दमोह एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया था कि 2013 में एक डिग्री जो उसने पांडिचेरी से ली थी, जिस विश्वविद्यालय से ली थी वहां के कुलपति उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे। उनके फर्जी दस्तखत कर उसने एक डिग्री बनाई थी जो पूरी तरह से फर्जी समझ में आ रही है। इसके अलावा और भी फर्जी डिग्रियां उसके पास है। हालांकि कुछ दिन उसने विदेश में जाकर पढ़ाई की है उसके दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं।

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घर से मिली थी फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाली नकली सील

जांच के दौरान फर्जी डॉक्टर के प्रयागराज स्थित घर पर दोबारा सर्चिंग की गई। जिसमें पूरी की पूरी फर्जी डॉक्यूमेंट बनाने की एक लैब मिली। जहां कई फर्जी डॉक्यूमेंट प्रिंटर, सीले, डॉक्यूमेंट बनाने वाले पेपर, आधार कार्ड, और कई आईडी कार्ड भी बरामद हुए हैं। दमोह एसपी की माने तो फर्जी डिग्री की एक एफआईआर 2013 में नोएडा में इसी डॉक्टर के खिलाफ की गई थी। इसके बाद से यह फरार बताया जा रहा था। इस बात को लेकर नोएडा पुलिस से दमोह पुलिस ने पत्राचार किया।

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विदेश में पढ़ाई का दावा

डॉक्टर एन जॉन कैम ने ब्रिटेन से पढ़ाई करने का दावा किया और डॉक्यूमेंट वहां जमा होने की बात कही। इसके लिए उसने पत्राचार भी दिखाया है। इस पूरे मामले को लेकर पुलिस ने चार सदस्य एसआईटी (SIT) का गठन किया।

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छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष का किया था इलाज, ऑपरेशन के बाद हुई थी मौत

इस मामले के तार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के अपोलो अस्पताल से भी जुड़े। खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाले फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम पर आरोप है कि इन्हीं की लापरवाही से अपोलो अस्पताल में भी 7–8 मरीजों की जान गई थी, जिसमें दिग्गज कांग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल थे। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल करीब 32 साल तक विधायक रहे। 20 अगस्त 2006 को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई। उनका ऑपरेशन भी कथित डॉक्टर नरेंद्र ने किया था।

अस्पताल प्रबंधन समिति के सदस्यों पर FIR, हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त

दमोह मिशन अस्पताल प्रबंधन समिति के 9 सदस्यों के खिलाफ सिटी कोतवाली थाने में FIR दर्ज की गई है। प्रबंधन समिति पर कैथ लैब शुरू करने में धोखाधड़ी का आरोप है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने मिशन अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर बंद करने का आदेश दिया। CMHO मुकेश जैन के मुताबिक, अस्पताल को लाइसेंस रिन्यूअल के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करने का एक सप्ताह का समय दिया गया था। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने दस्तावेज जमा नहीं किए। अस्पताल में लैब टेक्नीशियन और कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं की गई थी।

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