Radcliffe School Bhopal बंद करने के आदेश, 3 साल की मासूम लड़की से दुष्कर्म का मामला


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के रेडक्लिफ स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है। कलेक्टर ने स्कूल को बंद कर देने के आदेश दिए हैं। इससे पहले स्कूल के संचालक मंडल को निष्कासित करके प्रशासन ने उसका संचालन अधिग्रहित कर लिया था। एसडीम डॉक्टर अर्चना शर्मा की रिपोर्ट के बाद ही फाइनल हो गया था कि स्कूल की मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। कलेक्टर ने इसी निर्णय का पालन किया है। याद दिला दें कि यह वही हाई प्रोफाइल स्कूल है जहां पर 3 साल की मासूम लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया था। 

घटना का संक्षिप्त विवरण 

Radcliffe School एक हाई प्रोफाइल स्कूल था। यहां भारी भरकम फीस ली जाती थी। बदले में सबसे अच्छी शिक्षा और सुरक्षा की गारंटी दी जाती थी। स्कूल के संचालक ने कासिम रेहान नाम के एक व्यक्ति को बिना किसी वेरिफिकेशन के स्कूल में नियुक्त कर दिया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार कासिम रेहान ने 3 साल की मासूम कन्या के साथ व्यभिचार किया। मामले का खुलासा होने के बाद स्कूल संचालक ने मामले को दबाने की कोशिश की। हालत यह है कि, भोपाल में निष्पक्ष और निडर पत्रकारिता का नेतृत्व करने वाले दैनिक भास्कर द्वारा घटना से जुड़े समाचार तो प्रकाशित किए गए परंतु स्कूल का नाम प्रकाशित नहीं किया गया। 

जिला शिक्षा अधिकारी मेहरबान थे

घटना के बाद बाल आयोग की टीम ने स्कूल का निरिक्षण कर घटना से जुड़ी अहम जानकारियां जुटाई थीं। एसडीएम डॉ. अर्चना शर्मा रावत ने कहा कि स्कूल प्रबंधन अगर चाक चौबंद रहता तो ऐसी घटना नहीं होती। जनता में आक्रोश था और प्रदर्शन हो रही थी इसके बावजूद तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी, हाई प्रोफाइल स्कूल का बचाव कर रहे थे। कार्रवाई के नाम पर जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी स्कूलों के संचालकों एवं प्राचार्य के नाम एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें स्कूल के सभी शिक्षकों और स्टाफ के वेरिफिकेशन के लिए कहा गया है। 

श्रम विभाग ने भी कोई कार्रवाई नहीं की 

हालांकि यह श्रम विभाग का मामला है और सिर्फ स्कूल ही नहीं, किसी भी व्यवसायिक और नॉन प्रॉफिट संस्थान में, किसी भी कर्मचारी की नियुक्ति से पहले उसके डाक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन एवं पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य है। इस मामले में खुलासा होने के बावजूद श्रम विभाग ने स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। 

कलेक्टर का स्टैंड क्लियर था

इस मामले में भोपाल के कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह का स्टैंड बिल्कुल क्लियर था। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि, स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। उन्होंने सबसे पहले स्कूल परिसर से संचालक मंडल को बेदखल किया। स्कूल का संचालन प्रशासन ने अपने हाथ में लिया, ताकि इस परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को कोई परेशानी ना हो। परीक्षा पूरी हो जाने के बाद स्कूल की मान्यता का नवीनीकरण नहीं किया। 

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